नाग पंचमी 2023 | Naag Panchami Festival 2023

Dec 21,2022 | By Admin

नाग पंचमी 2023 | Naag Panchami Festival 2023

श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नाग पंचमी का पर्व प्रत्येक वर्ष श्रद्धा और विश्वास से मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व  21 अगस्त 2023  के दिन मनाया जाएगा. नाग पंचमी हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण त्यौहार रहा है नाग पंचमी के दिन नाग पूजा का विशेष महत्व होता है. इस दिन नागों का पूजन करना कल्याणकारी माना जाता है. हिंदु धर्म में नागपूजा के संदर्भ में कई पौराणिक उल्लेख प्राप्त होते हैं. नाग क्षेत्रपाल देवताओं में से एक हैं क्षेत्रपाल देवता अर्थात  क्षेत्र की रक्षा करने वाले देवता माने जाते हैं.

इस दिन के विषय में कई दंतकथाएं प्रचलित है. जिनमें से कुछ कथाएं इस प्रकार है. इन में से किसी कथा का स्वयं पाठ या श्रवण करना शुभ रहता है. साथ ही विधि-विधान से नागों की पूजा भी करनी चाहिए.नाग इच्छा से संबंधित देवता हैं तथा इच्छाओं की पूर्ति करने वाले कहे जाते हैं. हिंदु धर्म के अनुसार नाग अनेक देवताओं के रूप से संबंधित हैं भगवान शिवजी ने नाग धारण किए हैं, तो भगवान विष्णु शेषासन पर शयन करते हैं. अत: ईश्वर के सामिप्य से जुडे़ नागों का महत्व स्वयं ही परिलक्षित होता है.

नागदेवता की पूजा करने की पद्धति नागों में भी कई जातियां होती हैं नागों के नौ रूप प्रसिद्ध हैं जो  नवनाग स्तोत्र में बताए हैं. इस स्त्रोत का पाठ करने से नागो के कष्ट से मुक्ति मिलती है. सर्पभय और विष बाधा कभी नहीं सताती.

अनंतं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कंबलं ।
शंखपालं धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा ।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम् ।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातःकाले विशेषतः।।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ।।

नाग पंचमी पूजन विधि | Naag Panchami Worship

इस दिन प्रात: नित्यक्रम से निवृ्त होकर, स्नान कर घर के दरवाजे पर पूजा के स्थान पर गोबर से नाग बनाया जता है. मुख्य द्वार के दोनों ओर दूध, दूब, कुशा, चंदन, अक्षत, पुष्प आदि से नाग देवता की पूजा करते है. इसके बाद लड्डू और मालपूओं का भोग बनाकर, भोग लगाया जाता है. ऎसी मान्यता है कि इस दिन सर्प को दूध से स्नान कराने से सांप का भय नहीं रहता है. भारत के अलग- अलग प्रांतों में इसे अलग- अलग ढंग से मनाया जाता है.

भारत के दक्षिण महाराष्ट्र और बंगाल में इसे विशेष रुप से मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल, असम और उडीसा के कुछ भागों में इस दिन नागों की देवी मां मनसा कि आराधना की जाती है. केरल के मंदिरों में भी इसदिन शेषनाग की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. नागपंचमी के दिन, धरती खोदना या धरती में हल, नींव खोदना मना होता है.

इस दिन विशेष रुप से सरस्वती देवी की पूजा-आराधना भी की जाती है और बौद्धिक कार्य किये जाते है. ऎसी मान्यता है कि इस दिन घर की महिलाओं की उपवास रख, विधि विधान से नाग देवता की पूजा कि जाती है. इससे परिवार की सुख -समृद्धि में वृद्धि होती है. और परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रह्ता है.

इसके पश्चात वस्त्र सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बिलपत्र, आभूषण और पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप दीप, नैवेद्ध, ऋतु फल, तांबूल चढाने के लिये आरती करनी चाहिए. इस प्रकार पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है. इस दिन नागदेव की पूजा सुगंधित पुष्प, चंदन से करनी चाहिए. क्योकि नागदेव को सुंगन्ध विशेष प्रिय होती है.

पूजा के वक्त नाग देवता का आह्वान करना चाहिए. उसके पश्चात जल, पुष्प और चंदन का अर्ध्य देना चाहिए. नाग प्रतिमा का दूध, दही, घृत, मधु और शर्कर का पंचामृ्त बनाकर स्नान करना चाहिए. उसके पश्चात प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल चढाना चाहिए.

Tags : Hindu Beliefs

Category : Hindu Beliefs


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