दशरथ कृत शनि स्तोत्र & Dashrath Krit Shani Stotra
दशरथ कृत शनि स्तोत्र – Dashrath Krit Shani Stotra
शनि स्तोत्र (Shani Stotra in Hindi) जो भी जातक शनि ग्रह, शनि साढ़ेसाती, शनि ढैया या शनि की महादशा से पीड़ित हैं उन्हें दशरथ कृत शनि स्तोत्र (Shani Stotram) का नियमित पाठ करना चाहिए। इस पाठ को नियमित करने से भगवान शनि प्रसन्न होते हैं तथा जीवन की समस्त परेशानियों से मुक्ति दिलाकर जीवन को मंगलमय बनाते हैं |
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Shani Stotra in Hindi – शनि स्त्रोत
विनियोग
ॐ अस्य श्रीशनि-स्तोत्र-मन्त्रस्य कश्यप ऋषिः, त्रिष्टुप् छन्दः, सौरिर्देवता, शं बीजम्, निः शक्तिः, कृष्णवर्णेति कीलकम्, धर्मार्थ-काम-मोक्षात्मक-चतुर्विध-पुरुषार्थ-सिद्धयर्थे जपे विनियोगः।
कर – न्यास
शनैश्चराय अंगुष्ठाभ्यां नमः। मन्दगतये तर्जनीभ्यां नमः। अधोक्षजाय मध्यमाभ्यां नमः। कृष्णांगाय अनामिकाभ्यां नमः। शुष्कोदराय कनिष्ठिकाभ्यां नमः। छायात्मजाय करतल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः।
हृदयादि-न्यास
शनैश्चराय हृदयाय नमः। मन्दगतये शिरसे स्वाहा। अधोक्षजाय शिखायै वषट्। कृष्णांगाय कवचाय हुम्। शुष्कोदराय नेत्र-त्रयाय वौषट्। छायात्मजाय अस्त्राय फट्।
दिग्बन्धन
“ॐ भूर्भुवः स्वः”
ध्यान
नीलद्युतिं शूलधरं किरीटिनं गृध्रस्थितं त्रासकरं धनुर्धरम्।
स्तोत्र
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे।
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