गणपति मंत्र तथा श्लोक & Ganpati Shlok & Mantra
गणपति मंत्र तथा श्लोक – Ganpati Shlok & Mantra
Ganesh Mantra in Hindi : विघ्नहर्ता श्री गणेश के मंत्र (Ganesh Mantra) और गणेश श्लोक (Ganpati Shlok) के उच्चारण से भक्तो के दुःख पल भर में समाप्त हो जाते हैं। गणेश मंत्र जाप (Ganesh Mantra in Sanskrit) से समस्त चिंता दूर हो जाएँगी । इन गणेश मंत्रो (Ganesh Mantra with Lyrics) में से कोई भी एक मंत्र की 108 बार नित्य माला जपने या स्मरण करने मात्र से श्री गणेश प्रसन्न हो जाते हैं।
गणेश मंत्र – Ganesh Mantra Lyrics
|| ॐ गं गणपतये नमो नमः ||
गजानंद एकाक्षर मंत्र – Gajanand Ekashar Mantra
।। ऊँ गं गणपतये नमः ।।
गणेश गायत्री मन्त्र – Ganesh Gayatri Mantra
|| ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ||
तथा
|| ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।
यह गणेश गायत्री मंत्र (Ganesh Mantra) है। इस मंत्र का प्रतिदिन 108 बार जप करने से गणेशजी की कृपा होती है। लगातार 42 दिन तक गणेश गायत्री मंत्र के जप से व्यक्ति के पूर्व कर्मो का बुरा फल खत्म होने लगता है और भाग्य उसके साथ हो जाता है।
गणेश तांत्रिक मंत्र – Ganesh Tantrik Mantra
ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।
यह गणेश तांत्रिक मंत्र (Ganesh Mantra) है जिसकी साधना में रोज सुबह महादेवजी, पार्वतीजी तथा गणेशजी की पूजा करने के बाद इस मंत्र का 108 बार जाप करने व्यक्ति के समस्त दुख समाप्त होते हैं। इस मंत्र जप के दौरान व्यक्ति को पूर्ण सात्विकता रखनी होती है और क्रोध, मांस, मदिरा, परस्त्री से संबंधों से दूर रहना होता है।
गणेश कुबेर मंत्र – Ganesh Kuber Mantra
।। ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा ।।
कर्ज मुक्ति और आर्थिक परेशानियां के निवारण हेतु गणेशजी की पूजा करने के बाद गणेश कुबेर मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति का कर्जा उतर जाता है तथा धन के नए स्त्रोत प्राप्त होते हैं जिनसे व्यक्ति का भाग्य चमक उठता है।
गणेश महामंत्र – Ganesh Maha Mantra Lyrics
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
ग्रह दोष से रक्षा के लिए गणेश मंत्र
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
श्री गणेश बीज मंत्र – Ganesh Beej Mantra
गणपतिजी का बीज मंत्र ‘गं’ है। इनसे युक्त मंत्र- ‘ॐ गं गणपतये नमः’ का जप करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि प्रदायक है।
।। ॐ वक्रतुंडाय हुम् ।।
किसी के द्वारा नेष्ट के लिए की गई क्रिया को नष्ट करने के लिए, विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए उच्छिष्ट गणपति की साधना करना चाहिए। इनका जप करते समय मुंह में गुड़, लौंग, इलायची, पताशा, ताम्बुल, सुपारी होना चाहिए। यह साधना अक्षय भंडार प्रदान करने वाली है। इसमें पवित्रता-अपवित्रता का विशेष बंधन नहीं है।
उच्छिष्ट गणपति का मंत्र – Ucchista Ganapati Mantra
।। ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा ।।
आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का यह मंत्र जपें –
।। गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: ।।
विघ्न को दूर करके धन व आत्मबल की प्राप्ति के लिए हेरम्ब गणपति का मंत्र जपें –
।। ॐ गं नमः ।।
रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक वृद्धि के लिए लक्ष्मी विनायक मंत्र का जप करें-
।। ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा ।।
विवाह में आने वाले दोषों को दूर करने वालों को त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र का जप करने से शीघ्र विवाह व अनुकूल जीवनसाथी की प्राप्ति होती है-
।। ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा ।।
इन मंत्रों के अतिरिक्त गणपति अथर्वशीर्ष, संकटनाशन गणेश स्तोत्र, गणेशकवच, संतान गणपति स्तोत्र, ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र, मयूरेश स्तोत्र,गणेश चालीसा का पाठ करने से गणेशजी की कृपा प्राप्त होती है।
गणपति श्लोक – Ganesh Mantra By Suresh Wadkar
ॐ गजाननं भूंतागणाधि सेवितम्, कपित्थजम्बू फलचारु भक्षणम्
भावार्थ- जो हाथी के समान मुख वाले हैं, भूतगणादिसे सदा सेवित रहते हैं, कैथ तथा जामुन फल जिनके लिए प्रिय भोज्य है, पार्वती के पुत्र हैं तथा जो प्राणियों के शोक का विनाश करने वाले हैं, उन विघ्नेश्वर के चरण कमलों में नमस्कार करता हुं।
इसके अलावा कई ऐसे गणेश मंत्र है जो जातक की विप्पति को हर सभी कार्य सिद्ध करने वाले होते है
नमामि देवं सकलार्थदं तं सुवर्णवर्णं भुजगोपवीतम्ं।
भावार्थ- मैं उन भगवान गजानन की वंदना करता हूं, जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। सुवर्ण तथा सूर्य के समान देदीप्यमान कान्ति से चमक रहे हैं। सर्पका यज्ञोपवीत धारण करते हैं, एकदन्त हैं, लम्बोदर हैं तथा कमल के आसनपर विराजमान हैं।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
भावार्थ- विघ्नेश्वर, वर देनेवाले, देवताओं को प्रिय, लम्बोदर, कलाओंसे परिपूर्ण, जगत् का हित करनेवाले, गजके समान मुखवाले और वेद तथा यज्ञ से विभूषित पार्वतीपुत्र को नमस्कार है; हे गणनाथ! आपको नमस्कार है।
रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्यरक्षकं।
भावार्थ- हे गणाध्यक्ष रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए। हे तीनों लोकों के रक्षक! रक्षा कीजिए; आप भक्तों को अभय प्रदान करने वाले हैं, भवसागर से मेरी रक्षा कीजिये।
केयूरिणं हारकिरीटजुष्टं चतुर्भुजं पाशवराभयानिं।
भावार्थ- मैं भगवान गणपतिकी वन्दना करता हूं जो केयूर-हार-किरीट आदि आभूषणों से सुसज्जित है, चतुर्भुज है और अपने चार हाथों में पाशा अंकुश-वर और अभय मुद्रा को धारण करते हैं, जो तीन नेत्रों वाले हैं, जिन्हें दो स्त्रियां चंवर डुलाती रहती है।
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