कृष्णमूर्ति पद्धति और पांचवा भाव – KP Astrology and Fifth House

Dec 21,2022 | By Admin

कृष्णमूर्ति पद्धति और पांचवा भाव – KP Astrology and Fifth House

कुण्डली का पांचवा भाव (fifth house) संतान भाव होने के साथ-साथ चतुर्थ भाव से दूसरा भाव भी है. इसलिये भौतिक सुख -सुविधाओं में वृद्धि की संभावनाएं देता है. जबकि छठा घर शत्रु भाव होने के साथ-साथ कोर्ट-कचहरी का स्थान होता है. इन दोनों भावों के विषय में कृष्णमूर्ति पद्धति में और भी बहुत कुछ कहा गया है.

कृष्णमूर्ति पद्धति में जातक की संतान से संबंधित बातों को और जातक की शिक्षा किस प्रकार की रहेगी इस जानकारी के लिए पंचम भाव उसके नक्षत्र स्वामी ग्रह स्वामी इत्यादि को देखा जाता है. इस नक्षत्र के सब-सब लोर्ड के आधार पर पढ़ाई के बारे में बारीकी से विवेचन किया जाता रहा है.

पंचम भाव (Consideration of the Fifth House as per K.P. Systems)

पाचवें घर से शरीर के अंगों में दिल, रीढ की हड्डी का विचार किया जाता है. इस भाव से संम्बन्धित शरीर के अंगों की जानकारी प्राप्त करने के पश्चात प्रश्न कुण्डली से रोग को ढूंढने में सहयोग प्राप्त होता है. जिससे रोग की इलाज सरल होता है.

पंचम भाव से देखी जाने वाली मुख्य बातें: (Information of the Fifth House as per K.P. Systems)

इस भाव से ईश्वरीय ज्ञान देखा जाता है. किसी व्यक्ति की ईश्वर पर कितनी श्रद्धा है. इसकी जानकारी पंचम घर से ही प्राप्त होती है. पंचम घर से नाटक, फिल्म, कलाकार, तथा फिल्म उद्योग (film industry) से जुड़े विषयों को देखा जाता है. कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें जो विशेष रुप से ही इस भाव से ही देखी जानी जाती है. जो प्रमुख बातें इस प्रकार से देख सकते हैं.


बुद्धि भाव

पंचम भाव बुद्धि का स्थान है, पंचम भाव का प्रभाव व्यक्ति को शिक्षा एवं बौद्धिकता के विकास को दर्शाने वाला होता है. इस भाव की शुभता होने पर जातक का बौद्धिक विकास अच्छा होता है. व्यक्ति अपनी योग्यता से लोगों के मध्य आकर्षक केन्द्र भी बनता है. जातक की जन्म कुण्डली में यह स्थान व्यक्ति की शिक्षा को बताता है. इस भाव की शुभता अच्छी पढ़ाई देने में भी सहयोगात्मक बनती है.

प्रेम और रोमांस का स्थान

जातक के जीवन में प्रेम की स्थिति कैसी होगी, क्या उसे प्रेम में सफलता मिल पाएगी क्या उसके जीवन में एक अच्छा साथी उसे प्राप्त हो पाएगा. इन प्रश्नों का उत्तर भी हमें इस पंचम भाव से मिल सकता है. इस भाव से आपके साथी के गुण का भी पता चल पाता है. आपके प्रेम की सफलता यहां बैठे शुभ ग्रहों पर निर्भर होती है. शुभ प्रभाव युक्त यह भाव जातक को जीवन में अच्छे संबंध भी देता है.

संतान सुख भाव

संतान के सुख को पाने की इच्छा आपकी पूर्ण होगी या संतान होने में देरी होगी. संतान आपके लिए आज्ञाकारी होगी या संतान से आपको दूरी सहनी होगी. इन बातों को भी हम इस भाव से जान पाते हैं. यह भाव यदि आठवें भाव से संबंध बनाता है या इसके स्वामी पर कोई पाप प्रभाव होता है तो संतान होने में विलम्ब की स्थिति भी जातक पर असर डाल सकती है.

पंचम भाव में ग्रहों की स्थिति

  • सूर्य -पांचवें भाव में सूर्य की स्थिति जातक को सजग और अपनी बातों को अमल करने वाला बनाती है. व्यक्ति जिद्दी हो सकता है. मित्रों का साथ मिलता है पर जातक गुस्सैल अधिक हो सकता है. राजनीति के क्षेत्र में व्यक्ति का प्रभुत्व बनता है.

  • चंद्रमा -चंद्रमा की पांचवें भाव में स्थिति होने से व्यक्ति के बौद्धिक स्तर में बेहतर हो सकता है. अगर चंद्रमा शुभ हो और बली हो तो दूसरों के साथ मेल जोल वाला भी बनाता है.

  • मंगल -इस भाव में मंगल की स्थिति के कारण जातक बहुत अधिक उत्तेजित हो सकता है. व्यक्ति में अपने काम के प्रति बहुत जल्दबाजी भी रखता और अपनों का विरोधी भी बन सकता है.

  • बुध - बुध के कारण जातक में मनोविनोद की अधिकता होती है, संतान होने में परेशानी झेलनी पड़ सकती है.. जातक के पास अपने लोगों का विरोध अधिक नहीं होता है.

  • गुरु - गुरु के पंचम भाव में होने के कारण जातक ज्ञानवान होता है. शिक्षा में अच्छे प्रयास करता है. बुध के प्रभाव से जातक अभिमानी भी हो सकता है.

  • शुक्र - शुक का पंचम भाव में होना जातक को प्रेम और रोमांस की ओर ले जा सकता है. जातक कला पक्ष की ओर भी बहुत अधिक रुझान रखता है. मित्रों के साथ मेल जोल अधिक रहेगा.

  • शनि - शनि के प्रभाव से जातक को अकेलापन अपने से अलगाव ओर मित्रों का विरोध झेलना पड़ता है. संतान होने में देरी हो सकती है. पढ़ाई में रुझान कम रहता है.

  • राहु-केतु -पंचम भाव में राहु केतु के प्रभाव से जातक के मन मस्तिष्क में विचारों की लम्बी शृंखला बनी रहती है. जातक की सोच का दायरा बहुत ही विस्तृत होता है. इस भाव में जो भी फल मिलते हैं उनकी प्राप्ति में संघर्ष अधिक करना होता है.

पंचम भाव से संबन्धित अन्य बातें:- (Other Information of the Fifth House as per K.P. Systems)

  • पंचम घर अभिनय स्थान होता है.

  • सभी प्रकार के अभिनय स्थलों को इस घर से देखा जाता है.

  • स्टेडियम, खेल का मैदान, सभी प्रकार के खेल तथा खेल के साधन

  • संतान से प्राप्त होने वाला सुख.

  • शयन सम्बन्धी परेशानियां.

  • साझेदारी और समझौता.

  • शेयर बाजार,

  • नृत्य के मंच.

  • प्रेम प्रसंगों के विषय में भी इसी घर से विचार होता है.

  • पंचम भाव से पूर्व जन्म के पुण्य का भी ज्ञान मिलता है.

पांचवा घर तीसरे घर से तीसरा भाव होता है इस कारण इस घर से भाई-बन्धुओं की छोटी यात्राओं का आंकलन किया जाता है. जीवनसाथी से लाभ, पिता की धार्मिक आस्था, पिता की विदेश यात्रा, कोर्ट-कचहरी के फैसले के विषय में भी यही घर जानकारी देता है. यह स्थान छठे घर से बारहवां स्थान है जिसके कारण प्रतियोगिता कि भावना कम करता है. नौकरी में बदलाव, उधार लिये गये ऋण की हानि भी दर्शाता है, इन सभी बातों का विचार पंचम घर से किया जाता है.

घर में स्थान:-(Place of the Fifth House in the Home as per K.P. Systems)

घर में रसोईघर को पंचम भाव का स्थान माना जाता है. इस स्थान में शुभ प्रभाव के कारण ही जातक का जीवन एवं स्वास्थ्य उत्तम होता है. इस भाव की शुभता से आपके खान-पान का स्वरुप भी तय होता है. आपके खानपान की स्थिति भी इसी से प्रभावित भी होती है.

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