शिव कामा सुंदरी अष्टकं & Shiva Kama Sundari Ashtakam

Dec 22,2022 | By Admin

शिव कामा सुंदरी अष्टकं & Shiva Kama Sundari Ashtakam

शिव कामा सुंदरी अष्टकं – Shiva Kama Sundari Ashtakam

पुण्डरीक पुरा मध्य वसिनिं, नृथ राज सह ध्गर्मिनिं ।

ब्रह्म विष्णु धाम देव पूजिथं, बहु स्रीपद्म सुक वथस शोबिथं ।

बहुलेय कलपन नथ्मजं, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥२॥

वेद शीर्ष विनुथ आत्मा वैभवं, वन्चिथर्थ फल धन ततःपरं ।

व्यास सूनु मुखथपर्चिथं, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥३॥

शोदसर्न पर देवथं उमां, पञ्च बन अनिस योथ्भव वेशनां ।

परिजथ थारु मूल मण्डपं, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥४॥

विस्वयोनिम् अमलं अनुथामं, वग विलास फलधं विचक्षणं ।

वारि वह सधृस लम्बरं, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥५॥

नन्दिकेस विनुथ अथम वैभवं, श्र्व नममन्थु जपक्रुतः सुख प्रदं ।

नास हीन पथथं, नदेस्वरिम्, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥६॥

सोमे सूर्य हुथ बुक्थाभिर लोचनं, सर्व मोहन करीं सुधीदिनां ।

थ्री वर्ग परमाथम सोउख्य्थां, धिने धिने चिन्थयामि शिवकामा सुन्दरीं ॥७॥

पुण्डरीक चरण ऋषिणा कर्थं स्तोत्रं, येथातः अन्वहम् पदन्थि ये ।

पुण्डरीक पुरा नयिकं अम्बिकं, य दृष्टिं अकिलं महेस्वरि ॥८॥

Tags : Mantra

Category : Ashtakam


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