भगवान राम की बड़ी बहन की कहानी & Stories From Ramayana

Dec 22,2022 | By Admin

भगवान राम की बड़ी बहन की कहानी & Stories From Ramayana

Stories From Ramayana in Hindi – महर्षि वाल्मीकि रामायण (Ramayan) की रचना की थी, जिसमें उन्होंने श्रीराम के जीवनकाल एवं पराक्रम का वर्णन किया। रामायण की कहानी हिंदू धर्म के लोगों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रन्थ है जिसकी कथा हम सभी ने कई बार सुनी, देखी या पढ़ी होगी। इसमें श्री राम के तीनों भाइयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के बारे में बताया गया है।

राम के वनवास और सीता जी के हरण से लेकर रावण के वध, राम की अयोध्या वापसी और माता सीता का त्याग वर्णित है। लेकिन इसमें कई ऐसे रोचक और भिन्न क़िस्से भी हैं जिनसे शायद आप परिचित नहीं हैं। ऐसी ही एक कथा है भगवान श्री राम की बहन से संबंधित। आइए, देखते हैं कि कौन थीं भगवान राम की बहन और क्या है उनकी कहानी।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के माता-पिता, उनके भाइयों एवं उनकी पत्नी के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं की उनकी एक बहन भी थी, जिसका नाम शांता था। जैसा कि हम सब जानते हैं कि अयोध्या के राजा दशरथ की तीन रानियाँ थीं–रानी कौशल्या, रानी सुमित्रा और रानी कैकेयी। राम कौशल्या के पुत्र थे, सुमित्रा के दो पुत्र–लक्ष्मण और शत्रुघ्न–थे और कैकेयी के पुत्र भरत थे। लेकिन कौशल्या ने एक पुत्री को भी जन्म दिया था जो इन सब भाइयों में सबसे बड़ी थी और उसका नाम शांता रखा गया था। रामायण के अनुसार शांता वेद, कला तथा शिल्प में पारंगत थीं और अत्यधिक सुंदर कन्या थीं।

क्यों नहीं मिलता शांता का अधिक उल्लेख

एक बार रानी कौशल्या की बहन रानी वर्षिणी और उनके पति रोमपद, जो अंगदेश के राजा थे, अयोध्या आए। रोमपद और वर्षिणी की कोई संतान नहीं थी, इसलिए वो हमेशा दुःखी रहते थे। बातों-बातों में वर्षिणी ने कौशल्या और राजा दशरथ से कहा कि काश उनके पास भी शान्ता जैसी एक सुशील और गुणवती पुत्री होती। राजा दशरथ से उनकी पीड़ा देखी नहीं गयी और उन्होंने अपनी पुत्री शांता को उन्हें गोद देने का वचन दे दिया। शांता को पुत्री के रूप में पाकर रोमपद और वर्षिणी प्रसन्न हो गये और राजा दशरथ का आभार व्यक्त किया।

शांता का पालन-पोषण उन्होंने बहुत स्नेह से किया और माता-पिता के सभी कर्तव्य निभाए। इस प्रकार शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईं।

किससे और कैसे हुआ था शांता का विवाह

राजा रोमपद को अपनी पुत्री से बहुत लगाव था। एक बार एक ब्राह्मण उनके द्वार पर आया। किन्तु वे शांता से वार्तालाप में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने ब्राह्मण की तरफ़ ध्यान ही नहीं दिया और उसे खाली हाथ ही लौटना पड़ा। ब्राह्मण इंद्र देव का भक्त था, इसलिए भक्त के अनादर से वे क्रोधित हो उठे और वरुण देव को आदेश दिया कि अंगदेश में वर्षा न हो।

इन्द्रदेव की आज्ञा के अनुसार वरुण देव ने ठीक वैसा ही किया। वर्षा न होने के कारण अगंदेश में सूखा पड़ गया और चारों तरफ़ हाहाकार मच गया। इस समस्या का समाधान पाने के लिए राजा रोमपद ऋषि ऋंग के पास गए। ऋषि ऋंग ने उन्हें वर्षा के लिए एक यज्ञ का आयोजन करने को कहा।

ऋषि के निर्देशानुसार रोमपद ने पूरे विधि-विधान के साथ यज्ञ किया, जिसके फलस्वरूप अंगदेश में वर्षा होने लगी। तब ऋषि ऋंग से प्रसन्न होकर अंगराज ने अपनी पुत्री शांता का विवाह उनसे कर दिया। पुराणों के अनुसार ऋषि ऋंग विभंडक ऋषि के पुत्र थे।

Its Include – stories of ramayana, रामायण की अद्भुत कथाएं, stories of ramayana in hindi, रामायण की गुप्त कथाएं, short stories of ramayana, रामायण की रहस्यमय कहानी, stories from ramayana, रामायण की कहानी, stories from ramayana in hindi, stories from ramayana for kids, short stories from ramayana,

Tags : Mantra

Category : Pauranik Kahaniya


Pauranik Kahaniya
whatsapp
whatsapp