हनुमान सहस्त्रनाम स्त्रोत- Hanuman Sahasranamam

Dec 22,2022 | By Admin

हनुमान सहस्त्रनाम स्त्रोत- Hanuman Sahasranamam

हनुमान सहस्त्र नामावली – Hanuman Sahasranamam

हनुमत्सहस्त्रनाम (Hanuman Sahasranama) का वर्णन ‘बृहज्ज्योतिषार्णव ’ में किया गया है । सर्वप्रथम श्री रामचंद्रजी ने हनुमान सहस्त्रनाम (Lord Hanuman 1008 Names) से हनुमानजी की स्तुति की थी । हनुमान जी को अपना इष्ट देव मानने वालो को हनुमत्-सहस्त्रनाम का पाठ प्रतिदिन करना चाहिये । इस सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ जो मनुष्य करता है उसके समस्त दु:ख नष्ट हो जाते हैं तथा उसकी ऋद्धि –सिद्धि चिरकाल तक स्थिर रहती है।

हनुमत्सहस्त्र नामावलीविनियोग

ॐ अस्य श्रीहनुमत्सहस्त्रनामस्तोत्रमन्त्रस्य ब्रह्मा ऋषिः

ध्यानः

ध्यायेद् बालदिवाकरद्युतिनिभ देवारिदर्पापहंदेवेन्द्रमुखप्रशा्तयकसं देदीप्यमान रुचा।

Hanuman Sahasranama – हनुमान सहस्त्र नाम

1) ॐ हनुमते नमः।

51) ॐ विश्वस्मै नमः।

101) ॐ देवोद्यानविहारिणे नमः।

201) ॐ चैतन्यविग्रहाय नमः।

401) ॐ सात्त्विकाय नमः।

501) ॐ दशभुजाय नमः।

601) ॐ भक्ताभयवरप्रदाय नमः।

701) ॐ मेघनादाय नमः।

801) ॐ कान्ताय नमः।

901) ॐ पुरुष्टुताय नमः।

प्रतिदिन डेढ़ मास तक इस हनुमत्सहस्त्रनाम स्तोत्र का तीनों समय पाठ करने से सभी उच्च पदवी के लोग साधक के अधीन हो जाते हैं । पीपल के जड़ पर बैठ कर पाठ करने से शत्रुजन्य भय नष्ट होता है तथा समस्त सिद्धियों की प्राप्ति होती है । इस स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के रोग (ज्वर, अपस्मार, मिर्गी, हिस्टीरिया आदि) नष्ट हो जाते हैं तथा सुख, सम्पत्ति आदि प्राप्त होते हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की कृपा से साधक को स्वर्ग एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो प्राणी इस स्तोत्र का नित्य पाठ करता है एवं सुनता अथवा सुनाता है, वह पवन पुत्र की कृपा से सभी मनोवांछित फल को प्राप्त करता है । इस स्तोत्र के प्रयोग से बंध्या स्त्री को पुत्र की प्राप्ति होती है ।

हर एक मंगलवार एवं शनिवार को ब्रह्म मुहुर्त में स्नान कर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने पूर्व दिशा में मुख करके आसन बिछाकर बैठ जायें । हनुमानजी के सम्मुख तेल की दीपक जलायें तथा धूप निवेदित करें । तत्पश्चात दाहिने हाथ में जल लेकर विनियोग “ॐ अस्य श्री हनुमत्सहस्त्रनाम ..” से आरम्भ कर “ जपे विनियोग ” तक पढ़कर भूमि पर जल छोड़ दें ।जिस कार्य के लिये हनुमान सहस्त्रनाम का पाठ किया जाये उसे विनियोग में “ मम सर्वोपद्रव शान्त्यर्थ ” की जगह बोलना चाहिये । जैसे पेट की पीड़ाके लिये “मम उदर पीड़ा शान्त्यर्थ” । इसके बाद न्यास तथा ध्यान कर के पाठ आरम्भ करें ।

Tags : Mantra

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