जाने यात्रा रेखा का रहस्य & आपके हाथो में विदेश यात्रा के योग है या नहीं ?
यात्रा रेखा – Yatra Rekha in Hindi
अगर आप विदेश यात्रा पर जाने की सोच रहे हैं तो आपकी चाहत पूरी हो सकती है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आपकी कुण्डली में विदेश यात्रा के योग (Foreign Travel Through Palmistry) मौजूद हों। वैसे आप चाहें तो अपनी हथेली देखकर भी यह जान सकते हैं कि आपकी किस्मत में विदेश यात्रा का योग है या नहीं। अगर यह योग बन रहे हैं तो निश्चित ही आप विदेश यात्रा पर जा सकते हैं।
हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यात्रा-रेखाओं का लक्षण बताने के पहले यह कहना आवश्यक है कि केवल यात्रा के ही सम्बन्ध में नहीं, बल्कि सर्वत्र फलादेश करते समय देश, काल, पात्र और परिस्थिति का विचार करना आवश्यक है।
यात्रा की रेखा तीन स्थानों पर होती है
1. चन्द्र क्षेत्र पर
चन्द्र-क्षेत्र पर यात्रा-रेखाएँ
चन्द्र-क्षेत्र पर बड़ी रेखा प्राय: यात्रा-रेखा समझी जाती है। पहले विदेश-यात्रा समुद्र-पार जल-मार्ग से होती थी और चन्द्रमा का जल तथा समुद्र से विशेष सम्बन्ध है। चन्द्रमा समुद्र का पुत्र हैं, समुद्र से निकला है और चंद्रोदय से समुद्र का जल ऊँचा उठता तथा गिरता है (ज्वारभाटा आता है)।
यदि चन्द्र-क्षेत्र की यात्रा-रेखा, भाग्य-रेखा से योग करे तो ऐसी यात्रा का भाग्य पर विशेष प्रभाव पड़ता है। यदि यात्रा रेखा छोटी और गहरी हो परन्तु भाग्य-रेखा से योग न करें तो उसे इतनी महत्वपूर्ण यात्रा नहीं समझना चाहिए।
1. यदि यह यात्रा-रेखा भाग्य-रेखा में विलीन हो जावे और उसके बाद भाग्य-रेखा गहरी हो तो समझना चाहिए कि यात्रा के फलस्वरूप भाग्य में गहरी उन्नति हुई।
मणिबन्ध से प्रारंभ होने वाली यात्रा-रेखाएँ
दूसरी यात्रा-रेखाएँ वे होती हैं जो मणिबन्ध (प्रथम रेखा) से प्रारम्भ होकर ऊपर की ओर चन्द्र-क्षेत्र पर जाती हैं ।
1. यदि ऐसी रेखा के अन्त पर ‘क्रास’चिह्न हो तो यात्रा का परिणाम अच्छा नहींं होता। निराशा और असफलता होती है ।
जीवन-रेखा से निकलने वाली रेखाएँ
तीसरी रेखा जिससे यात्रा का विचार किया जाता है जीवन-रेखा से निकलकर उसके सहारे-सहारे चलती है। इस रेखा का फल यह होता है कि मनुष्य अपनी जन्मभूमि छोडक़र विदेश में करोबार या नौकरी करता है। इस कारण चन्द्र-क्षेत्र पर साधारण यात्रा-रेखाओं की अपेक्षा इसका विशेष महत्व है।
चन्द्र पर्वत पर त्रिभुज होना भी विदेश यात्रा का योग बनाता है। अगर आपके हाथों में इनमें से कोई भी चिन्ह है तो आप विदेश यात्रा पर जा सकते हैं। अगर हमारी हथेली में मत्स्य (मछली) का चिन्ह है तो विदेश से धन मिलता है। चन्द्र पर्वत पर मत्स्य का चिन्ह विदेश से आय बताता है।
यात्रा-सम्बंधी दुर्घटनाएँ
यात्रा-सम्बन्धी दुर्घटनाएँ एक प्रकार से जीवन-रेखा के अन्तर्गत आ गई हैं, और ऊपर चन्द्र-क्षेत्र की यात्रा-रेखा व शीर्ष-रेखा का दोषयुक्त स्थान पर योग हो तो उसका भी फल बताया गया है किन्तु निम्न प्रकार के लक्षणों की ओर विशेष ध्यान आकृष्ट किया जाता है –
1. दुर्घटनाओं के लक्षण जीवन-रेखा या शीर्ष-रेखा पर अवश्य होते हैं ।
यात्राओं के संदर्भ में सामान्य विश्लेषण
आइए यात्राओं के संदर्भ में कुछ बातों का और अध्ययन करते हैं. विदेश यात्राओं के लिए रेखाओं का निर्दोष होना आवश्यक है. हाथ में बनी अच्छी और निर्दोष रेखाएँ यात्रा के लिए सौभाग्यवर्द्धक होती हैं. व्यक्ति इन यात्राओ से सुख पाता है.
हाथ की दूषित रेखाएँ यात्रा से होने वाली परेशानी के बारे में बताती है. व्यक्ति की जो यात्रा अचानक किसी कारण से होती है उसके लक्षण हाथ में नहीं होते हैं. यात्रा का समय शनि रेखा के मोटा अथवा पतला होने से जान सकते हैं अथवा शनि रेखा कब दूषित अथवा निर्दोष हो रही है आदि बातों से भी यात्रा होने का समय ज्ञात किया जा सकता है. सूर्य रेखा जिस समय में उदित होती है उस समय में भी यात्राएँ होती हैं.
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