शिव रूद्राभिषेक की सम्पूर्ण जानकारी, पूजन का समय, फल और विधि

Dec 22,2022 | By Admin

शिव रूद्राभिषेक की सम्पूर्ण जानकारी, पूजन का समय, फल और विधि

रूद्राभिषेक का महत्व क्यों – Shiv Rudrabhishek

ऐसी मान्यता है कि शिव को प्रसन्न किए बिना मनुष्य का कल्याण संभव नहीं है। भले ही साधक के इष्टदेव भगवान विष्णु, श्रीराम, कृष्ण अथवा जगत्पिता ब्रह्म ही क्यों न हों। इन सभी देवताओं की उपासना के लिए भी भगवान शिव का पूजन स्मरण आवश्यक है। लोक-परलोक में सर्वत्र सफलता पाने का एक मात्र उपाय यह है कि प्रतिदिन एक लोटा स्वच्छ व शीतल जल भगवान शिव पर चढा़ दें। यदि आप विधिवत् रूद्राभिषेक करें तो इसका फल अवश्य ही मिलेगा। शास्त्रों में कहा गया है कि शिव को प्रसन्न करने के लिए रूद्राभिषेक से बढ़कर दूसरा कोई पूजन नहीं है।

रूद्राष्टाध्यायी से रूद्राभिषेक क्यों  – Shiv Rudrabhishek

रूद्राष्टाध्यायी द्वारा रूद्राभिषेक करने से धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है, रोग-दोष से मुक्ति मिलती है। संसार की ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है, जो रूद्राभिषेक से प्राप्त न ही जा सके। दुर्लभ वस्तु आप मात्र एक श्रावण मास में रूद्राभिषेक द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। सभी मंत्रादि धोखा दे सकते हैं, किंतु रूद्राभिषेक नहीं। यह मनोकामनाओं की तत्काल पूर्ति करने वाला हैं।

अलग-अलग वस्तुओं से अभिषेक करने का फल – Shiv Rudrabhishek

रुद्राभिषेक में मनोकामना के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है. ज्योतिष मनाते हैं कि जिस वस्तु से रुद्राभिषेक करते हैं उससे जुड़ी मनोकामना ही पूरी होती है तो आइए जानते हैं कि कौन सी वस्तु से रुद्राभिषेक करने से पूरी होगी आपकी मनोकामना…

– जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, अत: शुद्ध जल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर भरपूर जलवृष्टि होती है। जल से अभिषेक करने से तेज ज्वर से भी शांत हो जाता है।

इन रसों द्वारा शुद्ध चित्त के साथ विधानुसार भगवान शिव का अभिषेक करने पर भगवान भक्त की सभी कामनाओं की पूर्ति करते हैं।

रुद्राभिषेक कब होता है सबसे उत्तम?

कोई भी धार्मिक काम करने में समय और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है. रुद्राभिषेक के लिए भी कुछ उत्तम योग बनते हैं. आइए जानते हैं कि कौन सा समय रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम होता है…

– रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है.

शिव जी का निवास कब मंगलकारी होता है?

देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं. महादेव कभी मां गौरी के साथ होते हैं तो कभी-कभी कैलाश पर विराजते हैं. ज्योतिषाचार्याओं की मानें तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो…

– हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं.

शिव जी का निवास कब अनिष्टकारी होता है?

शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक लेकिन रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्‍टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है…

– कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं.

कब तिथियों का विचार नहीं किया जाता?

कुछ व्रत और त्योहार रुद्राभिषेक के लिए हमेशा शुभ ही होते हैं. उन दिनों में तिथियों का ध्यान रखने की जरूरत नहीं होती है…

– शिवरात्री, प्रदोष और सावन के सोमवार को शिव के निवास पर विचार नहीं करते.

शिव कृपा से आपकी सभी मनोकामना जरूर पूरी होंगी तो आपके मन में जैसी कामना हो वैसा ही रुद्राभिषेक करिए और अपने जीवन को शुभ ओर मंगलमय बनाइए

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