शास्त्रानुसार आरोग्य के लिए कुश का आसन, भस्म का लेपन और पंचगव्य की महत्ता

Dec 22,2022 | By Admin

शास्त्रानुसार आरोग्य के लिए कुश का आसन, भस्म का लेपन और पंचगव्य की महत्ता

<p style="text-align:center">कुश के आसन की महत्ता क्यों ?<br></p><p style="text-align:center">पुराणों के अनुसार जब भगवान विष्णु वाराह रूप धारण कर समुद्र में छिपे असुर हिरण्याक्ष का वध कर बाहर निकले तो उन्होनें अपने बालों को झटका। उस समय उनके कुछ रोम पृथ्वी पर गिर । वही कुश के रूप में प्रकट हुए। कुश कुचालक है, इसलिए इसके आसन पर बैठकर पूजा-वंदना, उपासना या अनुष्ठान करने वाले साधक की शक्ति नष्ट नहीं होती। फलस्वरूप मनोकामनाओं की शीघ्र पूर्ति होती है। आयुर्वेद मे कुश को तत्काल फल देने वाली औषधि, आयु वृद्धिदायक, दूषित वातावरण को पवित्र करने वाला तथा संक्रमण फैलने से रोकने वाला बताया गया हैं।</p><p style="text-align:center">पंचगव्य का सेवन क्यों ?</p><p style="text-align:center">स्वस्थ गाय के दूध तथा दूध से बने दही एवं घी शुद्ध, पाचक, कीटनाशक, बल, बुद्धि और उत्साहवर्धक होते हैं गाय के गोबर से बने उपलों से निकलने वाला धुआं प्रदूषित वातावरण को भी शुद्ध करता हैं। गोमूत्र के मूल द्रव्यों की जांच से पता चलता है कि ये रोगनाशक, रोग प्रतिकारक, कीटाणुनाशक एवं अन्य प्रक्रिया को रोकने वाले है।</p><p style="text-align:center">बदन पर नित्य गोमूत्र की मालिश करने से सभी प्रकार के त्वचा रोग समूल नष्ट होते है। हड्डियों एवं यकृतजन्य विकारों मे गोमूत्र अधिक लाभदायक हैं।</p><p style="text-align:center">फेफडों के रोग- खासकर टी.बी. आदि के लिए गाय का दूध रामबाण औषधि है।</p><p style="text-align:center">शास्त्रोक्त पंचगव्य तैयार करने के लिए गौमूत्र एक भाग, दही दो भाग, गाय का दूध तीन भाग, घृत आधा भाग, गाय का गोबर एक भाग एवं दर्भ का पानी एक भाग लें।</p><p style="text-align:center">इस संदर्भ में ध्यान रहे कि पंचगव्य के लिए गर्भधारी गाय का दूध-दही नहीं लेन चाहिए। प्रसूति होने के 21 दिन बाद का दूध-दही लिया जा सकता है गोमूत्र भी ताजा और दो-तीन बार का छाना गया हो। गाय का दही पहले दिन का जमाया हुआ होना चाहिए। पंचगंव्य का उपयोग देव प्रतिमा एवं जपमाला शुद्धि के लिए भी होता हैं। इन्हें पंचगव्य से शुद्ध करने के बाद पुनः स्वच्छ जल से धोना चाहिए।</p><p style="text-align:center">तिलक धारण करने से पूर्व शरीर पर भस्म का लेप किया जाता है। भस्म में दुर्गंध नाशक एवं मन को उत्तेजित करने वाले अनेक द्रव्य और विविध रासायनिक घटक होते हैं। भस्म लेपन से शरीर के रोम छिद्र बंद हो जाते हैं, ऐसी बातें प्रचलित है परंतु वास्तविक स्थिति अलग है। सत्य तो यह है कि भस्म में शरीर के अंदर स्थित दूषित द्रव्य सोख लेने की क्षमता होती हैं। इतना ही नहीं; भस्म प्रभावी, जंतुघ्न एवं शोथघ्न होता हैं। इस कारण शरीर के संधि, कपाल, छाती के दोनों हिस्से तथा पीठ आदि पर नियमित भस्म का लेप करने से संधिवात जैसे रोगों की उत्पत्ति नहीं होती। इससे शरीर की सुंदरता और तेजस्विता भी बढती है।</p>

Tags : Mantra

Category : Mantra


whatsapp
whatsapp