भगवान की आरती करते समय क्यों बजाई जाती है ताली?

Dec 22,2022 | By Admin

भगवान की आरती करते समय क्यों बजाई जाती है ताली?

काफी पुराने समय से ही ताली बजाने का चलन है। भगवान की स्तुति, भक्ति, आरती आदि धर्म-कर्म के समय ताली बजाई जाती है।

विज्ञान के अनुसार ताली बजाना एक प्रकार का व्यायाम ही है, ताली बजाने से हमारे पूरे शरीर में खिंचाव होने लगता है और हमारे शरीर की मांसपेशियां एक्टिव हो जाती हैं। जोर-जोर से ताली बजाने की वजह से कुछ ही देर में हमारे शरीर से पसीना आना शुरू हो जाता है और पूरे शरीर में एक अलग तरह की उत्तेजना पैदा हो जाती है।

हमारी हथेलियों में शरीर के अन्य अंगों की नसों के बिंदू होते हैं, जिन्हें एक्यूप्रेशर पाइंट कहा जाता है। ताली बजाने से इन बिंदुओं पर दबाव पड़ता है और इनसे संबंधित अंगों में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे वे बेहतर काम करने लगते हैं। एक्यूप्रेशर पद्धति में ताली बजाना बहुत अधिक लाभदायक माना गया है। इन्हीं कारणों से ताली बजाना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है।

हिंदू धर्म में आरती के दौरान ताली बजाना जिसे हम कर्तल ध्वनि के नाम से भी जानते हैं, यह एक स्वाभाविक क्रिया मानी जाती है। मंदिर हो या कोई पूजा स्थल, जहां भी आरती संपन्न हो रही होती है, वहां पर भक्ति भाव में लीन श्रद्धालु ताली अवश्य बजाते हैं। प्रायः किसी उत्सव, जन्मदिन या संत समागम के दौरान भी हर्षोल्लास के साथ कर्तल ध्वनि पैदा की जाती है। किसी के उत्साहवर्धन के लिए भी लोग ताली का प्रयोग करते हैं।

तो आपने यह जाना कि आरती के समय बजायी जाने वाली ताली से न केवल हम देवी-देवता को प्रसन्न कर सकते हैं बल्कि अपनी सेहत को मजबूत भी बनाते हैं। हम आशा करते हैं कि धर्म-कर्म से जुड़े इस लेख के माध्यम से आपका ज्ञानवर्धन हुआ होगा। यदि आप इस संबंध अपनी टिप्पणी करना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में आप लिख सकते हैं।

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