सहस्र चंडी यज्ञ & असुर और राक्षस प्रवर्ति के मनुष्यो का संहार करने के लिए सर्वश्रेष्ठ यज्ञ

Dec 22,2022 | By Admin

सहस्र चंडी यज्ञ & असुर और राक्षस प्रवर्ति के मनुष्यो का संहार करने के लिए सर्वश्रेष्ठ यज्ञ

चंडी शक्ति देवी का एक बहुत ही उग्र रूप है, जिनकी तीन आंखें हैं और उनके पास दिव्य शक्तियों द्वारा दिए गए शक्तिशाली अस्त्र हैं। संपूर्ण सृष्टि का निर्माण, भरण-पोषण और विनाश उनके अधिकार क्षेत्र में है| पवित्र हिंदू ग्रंथ मार्कंडेय पुराण के देवी महात्मय खंड में देवी चंडी को आदि पराशक्ति का सबसे उग्र रूप बताया गया है। इस खंड में देवी चंडी की महिमा वर्णित है जिन्होंने अपने उग्र रूप में सृष्टि में संतुलन स्थापित करने के लिए महिषासुर, शुंभ और निशुंभ नामक राक्षसों का वध किया जोकि आसक्ति व नकारात्मकता की प्रतीक आसुरी उर्जाएं हैं| देवी चंडी उस शक्ति की प्रतीक हैं जो आपके मस्तिष्क, शरीर व आत्मा को प्रभावित करती है तथा जो आपको नकारात्मकता और पीड़ा से मुक्त जीवन प्रदान करती है|

सहस्र चंडी यग्न पूजा विधि

मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है. सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं. दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है. यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है।

इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है।

ध्यानं मंत्र 

ॐ बन्धूक कुसुमाभासां पञ्चमुण्डाधिवासिनीं।

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