श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम का प्राकट्य और जीवन की कथामृत सार

Dec 22,2022 | By Admin

श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रेम का प्राकट्य और जीवन की कथामृत सार

श्री राधा और कृष्ण जी के बारे में ऐसा कौन होगा जिसने कभी सुना नही होगा। सभी जानते है की राधा और कृष्ण एक दूसरे से प्रेम करते थे। और इतना प्रेम करते थे की कृष्ण जी शरीर हैं राधा रानी आत्मा हैं। जैसे सूर्य और प्रकाश। जैसे चन्द्रमा और चकोर। कृष्ण गीत हैं तो राधा संगीत हैं, कृष्ण वंशी हैं तो राधा स्वर हैं, कृष्ण समुद्र हैं तो राधा तरंग हैं, कृष्ण पुष्प हैं तो राधा उस पुष्प कि सुगंध हैं। राधा जी कृष्ण जी कि ह्लादिनी शक्ति हैं। वह दोनों एक दूसरे से अलग हैं ही नहीं। ठीक वैसे जैसे शिव और हरि एक ही हैं। राधा और कृष्ण जी का नाम आज भी साथ में लिया जाता है। क्योंकि इनका प्रेम संसार की तरह लौकिक नही था बल्कि अलोकिक था। इनका प्रेम दिव्य था। जहाँ कामना और वासना का नामो निशान नही है।

राधा और कृष्ण जी का नाम आज भी साथ में लिया जाता है। क्योंकि इनका प्रेम संसार की तरह लौकिक नही था बल्कि अलोकिक था। इनका प्रेम दिव्य था। जहाँ कामना और वासना का नामो निशान नही है।

राधा कृष्ण की प्रथम मुलाकात और प्रेम का प्राकट्य

दोनों ने एक दूसरे के मन की बात जान ली। दोनों ने आँखों ही आँखों में प्रेम-प्यार की बात कह डाली। राधा कृष्ण का प्रेम आँखों से देखा जा सकता है। फिर कृष्ण ने राधा जी से कहा कभी हमारे घर नन्द बाबा के घर, ब्रजगांव में भी खेलने आओ ना।

और हाँ तुम दरवाजे पर आकर मुझे बुला लेना, कान्हा मेरा नाम है, और अगर तुम ये कहती हो की मेरा घर दूर है तो कोई बात नहीं, तुम मन से एक बार पुकारना, मैं बोलते ही तुम्हारी पुकार सुन लूंगा।

राधा! तुम्हे वृषभानु(राधा जी के पिताजी) जी की सौगंध है, सुबह या शाम को एक बार चक्कर जरूर लगा लेना। तुम बिलकुल ही सीधी साधी और भोली भली हो(कहीं रस्ते में तुम्हे कोई बहला फुसला ना ले। इसलिए मैं तुम्हारा साथ करना चाहता हूँ।

श्री कृष्ण और राधा रानी के कुछ तथ्य

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