शिव तांडव स्तोत्र & रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में हिंदी अर्थ सहित

Dec 22,2022 | By Admin

शिव तांडव स्तोत्र & रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में हिंदी अर्थ सहित

शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में – Shiv Tandav Stotram Lyrics

रावण परम शिव भक्‍त था और महादेव की भक्ति में शिव तांडव स्तोत्र (Shiv Tandav pdf) की रचना की और जग में उसे “रावण रचित शिव तांडव स्‍तोत्र” के नाम से याद किया जाता है, शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में सदा से शिवजी की आराधना का महान स्तोत्र रहा है। शिव तांडव स्तोत्र हिंदी मै या यु कहे की शिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित सभी शिव भक्तो के लिए प्रस्तुत किया जा रहा जो आपको पसंद आएगा। शिव तांडव स्तोत्र के लाभ इतने है की मानो महादेव का आशीर्वाद ही मिल गया हो, हर हर महादेव

शिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित | Shiv Tandav Stotram

जटा टवी गलज्जलप्रवाह पावितस्थले गलेऽव लम्ब्यलम्बितां भुजंगतुंग मालिकाम्‌।

उनके बालों से बहने वाले जल से उनका कंठ पवित्र है,

जटाकटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरी विराजमानमूर्धनि।

मेरी शिव में गहरी रुचि है,

धराधरेंद्रनंदिनी विलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगंतसंतति प्रमोद मानमानसे।

मेरा मन भगवान शिव में अपनी खुशी खोजे,

जटाभुजंगपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा कदंबकुंकुमद्रव प्रलिप्तदिग्व धूमुखे।

मुझे भगवान शिव में अनोखा सुख मिले, जो सारे जीवन के रक्षक हैं,

सहस्रलोचन प्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरां घ्रिपीठभूः।

भगवान शिव हमें संपन्नता दें,

ललाटचत्वरज्वल द्धनंजयस्फुलिंगभा निपीतपंच सायकंनम न्निलिंपनायकम्‌।

शिव के बालों की उलझी जटाओं से हम सिद्धि की दौलत प्राप्त करें,

करालभालपट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल द्धनंजया धरीकृतप्रचंड पंचसायके।

मेरी रुचि भगवान शिव में है, जिनके तीन नेत्र हैं,

नवीनमेघमंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर त्कुहुनिशीथनीतमः प्रबद्धबद्धकन्धरः।

भगवान शिव हमें संपन्नता दें,

प्रफुल्लनीलपंकज प्रपंचकालिमप्रभा विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌।

मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनका कंठ मंदिरों की चमक से बंधा है,

अखर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌।

मैं भगवान शिव की प्रार्थना करता हूं, जिनके चारों ओर मधुमक्खियां उड़ती रहती हैं

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुरद्ध गद्धगद्विनिर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्।

शिव, जिनका तांडव नृत्य नगाड़े की ढिमिड ढिमिड

दृषद्विचित्रतल्पयो र्भुजंगमौक्तिकमस्र जोर्गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः।

मैं भगवान सदाशिव की पूजा कब कर सकूंगा, शाश्वत शुभ देवता,

कदा निलिंपनिर्झरी निकुंजकोटरे वसन्‌ विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।

मैं कब प्रसन्न हो सकता हूं, अलौकिक नदी गंगा के निकट गुफा में रहते हुए,

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः।

अर्थ: देवांगनाओं के सिर में गुंथे पुष्पों की मालाओं से झड़ते सुगंधमय पराग से मनोहर परम शोभा के धाम श्री शिवजी के अंगों की सुंदरताएँ परमानन्दयुक्त हमारे मनकी प्रसन्नता को सर्वदा बढ़ाती रहें

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना

अर्थ: प्रचंड बड़वानल की भाँति पापकर्मों को भस्मकर कल्याणकारी आभा बिखेरनेवाली शक्ति (नारी) स्वरूपिणी अणिमादिक अष्ट महासिद्धियों तथा चंचल नेत्रोंवाली देवकन्याओं द्वारा शिव-विवाह के समय की गयी परमश्रेष्ठ शिवमंत्र से पूरित, मंगलध्वनि सांसारिक दुखों को नष्टकर विजयी हो

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।

इस स्तोत्र को, जो भी पढ़ता है, याद करता है और सुनाता है,

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं यः शम्भूपूजनपरम् पठति प्रदोषे।

अर्थ: परम पावन, भूत भवन भगवन सदाशिव के पूजन के नत में रावण द्वारा रचित इस शिव तांडव स्तोत्र का प्रदोष काल में पाठ (गायन) करने से शिवजी की कृपा से रथ, गज, वाहन, अश्व आदि से संपन्न होकर लक्ष्मी सदा स्थिर रहती है

प्रश्न – शिव तांडव स्त्रोत कब पढ़ना चाहिए?

उत्तर – शिव तांडव स्तोत्र को प्रातः काल या प्रदोष काल में स्नानादि करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद शिवजी की तस्वीर या मूर्ति के समक्ष बैठ कर श्रद्धा के साथ ही करना चाहिए ।

प्रश्न – शिव तांडव में कुल कितने श्लोक हैं?

उत्तर – शिव तांडव में कुल 17 श्लोक है ।

प्रश्न – शिव तांडव स्तोत्र कैसे याद करें ?

उत्तर – शिव तांडव स्तोत्र का प्रिंट निकलवा कर रमेश भाई ओझा द्वारा स्वरबद्ध शिव तांडव स्तोत्र को मोबाइल में चलाये और साथ साथ नित्य गुनगुनाते जाये 1 महीने के उपरांत आपको अच्छे से याद हो जायेगा।

प्रश्न – शिव तांडव स्तोत्र को सिद्ध कैसे करे?

उत्तर – शिव तांडव स्तोत्र कोई सिद्ध करने की चीज नहीं अपितु श्रद्धा और भाव के साथ की जाने वाली शिव की स्तुति है, शिव भक्तो की श्रद्धा देखते है और सहज ही प्रसन्न हो कर आशीर्वाद देते है ।

प्रश्न – शिव तांडव किसने लिखा था?

उत्तर – नारद जी के कहने पर दर्द से कहराते लंकापति रावण ने शिव तांडव की रचना की थी। जब उसने महादेव को बिना उनकी आज्ञा के कैलाश सहित लंका ले जाने के लिए कैलाश को उठाने की कोशिश करि। तो महादेव ने अपने एक पैर के अंगूंठे के अग्र भाग से कैलाश भूमि को दबाया । जिससे रावण का एक हाथ कैलाश के निचे दब गया और उसके दर्द और रुदन से पूरा ब्रह्माण्ड हिल गया । तब नारद जी ने उसको शिव स्तुति करने को कहा ताकि शिव प्रसन्न हो उन्हें कष्ट से मुक्त कर दे और फिर रावण ने बड़े आर्त भाव से ये शिव तांडव स्तोत्र गाया ।

प्रश्न – शिव तांडव करने से क्या होता है?

उत्तर – शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। साधक को उत्कृष्ट व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है और उसका चेहरा तेजमय होता है, आत्मबल मजबूत होता है। प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से वाणी की सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है।

Tags : Mantra

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