माँ शैलपुत्री के उपासना मंत्र, ध्यान, स्तोत्र और कवच
माँ शैलपुत्री मंत्र – Maa ShailPutri Mantra
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। देवी, पर्वतों के राजा शैल की पुत्री थीं इसलिए इनका नाम शैलपुत्री रखा गया। मां प्रकृति की देवी हैं इसलिए नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री, देवी पार्वती का अवतार हैं। मां शैलपुत्री का स्वरूप मां शैलपुत्री के बाएं हाथ में त्रिशूल और दाएं हाथ में डमरू है। उनका वाहन बैल है। मां शैलपुत्री मुख्य रूप से मूलाधार चक्र की देवी मानी जाती हैं।
जिसे योग की शक्ति द्वारा जागृत कर मां से शक्ति पाई जा सकती है। शक्ति प्राप्ति के लिए माँ के ध्यान मंत्र, उपासना मंत्र और कवच का विधि पूर्वक मंत्रोउच्चारण करने से माँ शैलपुत्री अवश्य अपने भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें अभय दान और समस्त आकांशाओ की पूर्ति करती है
माँ शैलपुत्री उपासना मंत्र
वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्।
माँ शैलपुत्री ध्यान मंत्र
वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्।
माँ शैलपुत्री स्तोत्र
प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम्।
माँ शैलपुत्री कवच
ओमकार: में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
शैलपुत्री की आरती – Shailputri Aarti Lyrics
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
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