चेहरा देख कर पहचाने इंसान का चरित्र
चेहरा देख कर पहचाने इंसान का चरित्र – Face Reading Tips
व्यक्ति का चेहरा एक खुली किताब होता है हम जब भी किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो सबसे पहले उसके चेहरे पर हमारी नजर जाती है। यदि उस समय चेहरे के खास अंगों की बनावट पर ध्यान दिया जाए तो तुरंत ही उस व्यक्ति के चरित्र से जुड़ी बातें समझी जा सकती हैं। चेहरे के खास अंग जैसे नाक, सिर, आंखें, पलक, कान, भौंहें आदि। इन अंगों की बनावट और स्थिति जैसी होती है व्यक्ति का स्वभाव भी वैसा ही होता है।
इस संबंध में ज्योतिष शास्त्र में कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई हैं।ज्योतिष में शरीर के लक्षणों के देखकर व्यक्तित्व और भविष्य बताने की विधि को सामुद्रिक विद्या कहते हैं। ये ज्योतिष का अभिन्न अंग है। सामुद्रिक विद्या के अनुसार मनुष्य के सिर से लेकर पैर तक हर अंग के अपने कुछ लक्षण होते हैं, उसकी बनावट, आकार और रंग हमारे व्यक्तित्व के रहस्यों पर तो रोशनी डालते ही हैं, साथ ही भविष्य भी बताते हैं। किसी भी व्यक्ति के चेहरे को देखकर ये आसानी से बताया जा सकता है कि वो व्यवहार, आचार-विचार और कार्यक्षेत्र में कैसा है।
सिर की बनावट देखकर समझें ये बातें
बालों को देखकर जानें ये बातें
भौंहें देखकर जानिए ये बातें
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पलक देखिए और जानिए ये बातें
क्या बोलता है आपका चेहरा
चौकोर चेहरा, गोल चेहरा, तिकोना चेहरा, मोटी नाक, तीखी नाक, वगैरह-वगैरह के बारे में आपने किस्से तो बहुत सुने होंगे। सौंदर्य के पैमाने पर भी इन्हें कसा होगा। पर शायद ही इनके ज्योतिषीय पक्ष को समझने की कोशिश की हो। आइए जानते हैं चेहरे का कौन-सा भाग व्यक्तित्व के किस पक्ष से रू-ब-रू कराता है।आपके चेहरे का हर हिस्सा आपके बारे में बयां करता है। चेहरे के विभिन्न अंगों की मदद से आप सामने वाले व्यक्ति की पर्सनेलिटी को जान सकती हैं। चेहरे का कौन-सा हिस्सा क्या कहता है,
चेहरे का आकार
सरकुलर चेहरा : चंद्रप्रधान होता है। ऐसे चेहरे वाले लोग कल्पनाशील, घरेलू, आलसी और ऊर्जा की कमी महसूस करने वाले होते हैं।
चौकोर चेहरे : वाले लोग मजबूत और आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं। पृथ्वी तत्व की प्रधानता वाले ये लोग शारीरिक क्षमता और शक्ति पर भरोसा करते हैं।
आयताकार चेहरे : वाले लोग ईमानदार और डिप्लोमेटिक स्वभाव के होते हैं। नेतृत्व क्षमता से भरपूर ये लोग अच्छे पदों पर रहते हैं और राजनीति में सफलता प्राप्त करते हैं।
तिकोने चेहरे : वाले लोग गुस्सैल स्वभाव के होते हैं। ऐसे लोग अक्सर प्रतिभा की कमी से भी जूझते हैं। इनके हिस्से में व्यवहारकुशलता भी कम ही आती है। इसके विपरीत ठुड्डी की ओर से नुकीले चेहरे वाले लोग खुशमिजाज होते हैं। कभी-कभी ऐसे लोग हाइपरएक्टिव भी दिखते हैं।
माथे की रूपरेखा
माथे का सबसे ऊपरी हिस्सा यानी हेयरलाइन पूर्वजों के प्रति व्यक्ति की आस्था बताता है। हेयरलाइन बताती है कि व्यक्ति अपने पूर्वजों के काम को आगे बढ़ाने में विश्वास रखता है और उनकी शिक्षा-दीक्षा का सम्मान करता है।
हेयर लाइन के बाद आने वाला टॉप फोरहेड यानी ऊपरी माथा यह बताता है कि व्यक्ति कितनी यात्राएं करेगा। यदि रेखाएं सीधी हैं, टूटी-फूटी नहीं हैं, तो जीवन में इन यात्राओं के सार्थक परिणाम मिलते हैं। इसके विपरीत यदि रेखाएं टूटी-फूटी हैं, तो सही परिणाम नहीं मिलते। व्यक्ति को शारीरिक हानि भी उठानी पड़ सकती है।
सेंट्रल फोरहेड से करियर के बारे में पता चलता है। यह यदि स्पष्ट है और वहां पर आयु के अनुरूप सीधी रेखाएं हैं, तो व्यक्ति करियर के प्रति बहुत ज्यादा उत्साही होता है। करियर को जीवन में सर्वाधिक महत्व देता है। यदि माथा अंदर की ओर धंसा हुआ है, तो व्यक्ति करियर के प्रति उदासीन होता है।
होंठों का आकार
अपर लिप जीवन में स्नेह प्रदर्शित करता है।
नाक का आकार
नाक की टिप से किसी भी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। अगर यह संतुलित है, तो व्यक्ति आर्थिक रूप से समृद्ध होता है।
क्या कहती हैं भौंहें और पलकें
भौं से भाई-बहन-परिवार के बारे में पता चलता है। यदि भौं उठे हुए और नुकीले हों, तो भाई-बहनों की संख्या कम होती है। भाई-बहनों से संबंध भी अच्छे नहीं होते। घनी पलकें व्यक्ति के संपत्तिवान होने की निशानी होती हैं।
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आंखों की भाषा
यदि पुतलियां आंख के ऊपरी हिस्से को अधिक छूती हैं, तो व्यक्ति के व्यवहार में एकरूपता का अभाव होता है। ऐसे लोग विश्वसनीय नहीं होते। जिन लोगों की पुतली आंख के निचले हिस्से को ज्यादा छूती है, वे लोग निष्ठुर होते हैं। इसीलिए फिल्मों में ऐसी आंखों वाले लोगों को अधिकांशत: विलेन के रोल के लिए चुना जाता है।
अगर पुतली आंख के आकार के मुकाबले बड़ी है, तो व्यक्ति अपनी भावनाओं को छुपा नहीं पाता। ऐसे लोग एक्स्ट्रोवर्ट होते हैं। छोटी पुतली वाले लोग गोपनीय प्रवृत्ति के होते हैं। दोनों आंखों के बीच अनुपात से ज्यादा दूरी वाले लोग खर्चीले स्वभाव के होते हैं।
चेहरा व्यक्ति की पहचान होता है। किंतु अच्छा या बुरा चेहरा होना उसकी खूबसूरती या बदसूरती से नियत नहीं होता, बल्कि अच्छे या बुरे कर्म भी सुन्दर चेहरे को बदसूरत और बिगड़ी सूरत को खूबसूरत बनाने में निर्णायक होते हैं। यही चेहरा मन के भावों को उजागर भी कर देता है।
किंतु कुछ लोग चेहरे के भावों को छुपाने की कला में भी महिर होते है और अपने स्वार्थ या मंशा को पूरा करने के लिए नकली चेहरे को असली चेहरे के पीछे छुपा लेते हैं। व्यावहारिक जीवन के नजरिए से यही बात अनेक मौकों पर नुकसान या परेशानी का कारण भी बन जाती है।
वहीं दूसरी तरफ व्यक्ति के मन में भी खुद का जीवन कैसा होगा, यह जिज्ञासा भी रखता है। हिन्दू धर्म शास्त्र में लिखी कुछ रोचक बातें ऐसी ही जिज्ञासा को शांत करने और अंजान पुरुष से व्यवहार करने के सूत्र बताती है। इन बातों में अलग-अलग सूरत वाले पुरुषों के गुण व स्वभाव बताए गए हैं।
हिन्दू धर्म ग्रंथ भविष्यपुराण के मुताबिक जब भगवान शिव ने विवाद के बाद पुत्र कार्तिकेय द्वारा लिखे गए लक्षण शास्त्र को समुद्र में फेंक दिया, तब कार्तिकेय स्वामी के निवेदन पर ब्रह्मदेव ने पुरुषों की मुख से पहचान के लक्षणों को उनको फिर से स्मरण कराया।
पुरुषों के मुख से जुड़ी रोचक बातें
मुख अर्थात् मुख्य एक शरीर में सर्वाधिक चेतनामय, ऊर्जामय, ज्ञानमय व प्रज्ञामय भाग व्यक्ति का मुख ही है। आंख, कान, नाक व मुख सहित मस्तिष्क के सभी ज्ञानमय व स्मृति केन्द्रों का संरक्षक (चेहरा) ही तो है। ब्रह्मा जी के चार मुख, शिवजी के पांच मुख, रावण के दस सिर (दसग्रीव) भगवान दत्तत्रेय के तीन मुख आदि मुख के विशिष्ट गुणों की व्याख्या करते हैं।
‘ब्राह्मणों मुखम आसीत्’ अर्थात् परमात्मा के मुख से ही ज्ञानवान, प्रज्ञामय संस्कारी ब्राह्मणों का आविर्भाव हुआ। अर्थात देखने की क्षमता, सुनने की पात्रता, श्वांस लेने की योग्यता व आहार करने की पवित्रता की प्राप्ति जिस मुख की मदद से मनुष्य करता है, वह (मुख) सर्वश्रेष्ठ अंग ब्रह्म तुल्य है। देखना अर्थात ‘दृष्टा’, सुनना अर्थात श्रोता, प्राणायाम अर्थात योग शिक्षा तथा आहार दक्षता यह सभी आध्यात्मिक गुण चेहरा अर्थात मुखमंडल देखकर ही आप जान सकते हैं।
‘मुखाकृति विज्ञान’ में महारथ हासिल कर आप निम्न बातों का पता आसानी से लगा सकते हैं।
1 बुद्धिमत्ता या मूर्खता
इन सभी गुणों व अवगुणों को आप चेहरे पर आंख, मस्तक, भौंहे, नाक, कान, पलकें, होंठ, जबड़ा, ठोड़ी आदि देखकर जान सकते हैं। प्रत्येक मनुष्य की मुखाकृति में आप यदि ध्यान से देंखे तो किसी न किसी की झलक आपको दिखाई देगी। किसी के चेहरे पर शेर जैसा प्रभाव दिखाई देता है, तो कोई वानर जैसे मुख वाला होता है। कोई भेड़, तोता, गिद्ध, भैंसा, लोमड़ी आदि अनेक स्वभाव व चेहरे जैसा रूप वाला होता है। संक्षेप में मुखाकृति विज्ञान के रहस्य आपके ज्ञानवर्धन के लिये निम्न प्रकार है।
मुख के तीन भाग
1. मस्तक या ललाट (पहला भाग)- इस भाग में भौंहों से ऊपर मस्तक या ललाट का भाग होता है। यह भाग यदि बड़ा हो या उन्नत हो तो व्यक्ति बुद्धिमान, तेज स्मृति वाला, नई बातों को सीखने वाला, काव्य व योग का ज्ञाता है। जीवन की समस्याओं का समाधान बौद्धिक बल से सोच-विचार कर लेते हैं।
2. भौंहों से नासिका तक (द्वितीय भाग)– भौंहों से नासिका के अग्र भाग तक यह भाग होता है। भौंहे, आंखें, नाक, कान व कनपटी आदि अंग इस भाग में आते हैं। नासिका व आंखों का सर्वाधिक महत्व होता है। यदि यह दोनों अंग विकसित, उन्नत व शुभ हो तो व्यक्ति स्वाभिमानी और भावेश को नियंत्रण में रखने की सामर्थ्य होती है। आर्थिक स्थिति, व्यापार या नौकरी में क्या शुभ है जाना जा सकता है। जातक कितना भाग्यवान है। जीवन में संघर्ष से जूझने की कितनी शक्ति है, नासिका व आंखों की बनावट से जाना जाता है।
जिनके प्रथम खंड से दूसरा खंड अधिक विकसित व लंबा होता है, वे हठी, दृढ़ निश्चय वाले, बाधाओं का डटकर सामना कर सफल होते हैं। यदि प्रथम खंड से दूसरा खंड छोटा हो त व्यक्ति पराजित होकर अवसाद में आने वाला, उचित निर्णय लेने में अशक्त होता है। कभी दोगला स्वभाव भी देखा जाता है। कभी शांत तो कभी उग्र रूप में दिखाते हैं।
3. नाक से ढोढ़ी तक (तीसार भाग)- नासिका के उग्रभाग से ढोड़ी तक का भाग इस खंड में आता है। इस भाग में मूंछों का स्थान, होंठ, कपोल, जबड़ा व ठुड्डी आदि भाग आते हैं। मुख का यह भाग 50 वर्ष की आयु के बाद जातक का जीवन कैसे चलेगा, यह जाना जा सकता है।
वर्गाकर व गोलाई यदि दृढ़ता युक्त हो तो शुभ माने जाते हैं। यदि ठोड़ी पीछे की ओर हटी हुई हो या नुकीली हो तो वृद्धावस्था में स्वयं को परिस्थितियों के अनुकूल नहीं बना पाते हैं। आगे की ओर निकली हुई ठोड़ी व वर्गाकर ठोड़ी वाले जातक जिद्दी आत्मविश्वासी व तर्क युक्त तथा परिस्थितियों के अनुकूल जीने वाले होते हैं। जिनका यह भाग पहले भाग के बराबर या अधिक लंबा हो वे वृद्धावस्था में सुखी जीवन जीते हैं।
Tags : Mantra
Category : Vedic Astrology