बसंत पंचमी & माघ शुक्लपक्ष पंचमी की पौराणिक कथा और सरस्वती मंत्र
माघ शुक्लपक्ष पंचमी के दिन बसंत पंचमी (Basant Panchami) या सरस्वती पूजा (Basant Panchami Saraswati Puja) देश भर में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. भारतीय पंचांग में छह ऋतुएं होती हैं. इनमें से बसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. बसंत पञ्चमी के दिन से ही बसंत ऋतु का आरम्भ माना जाता है । इस दिन भगवान विष्णु, कामदेव तथा रति की पूजा की जाती है।
आज ही के दिन भगवान श्री राम माता शबरी के आश्रम में आये थे। इसी की खुशी में बसंत ऋतु के पांचवें दिन उत्सव मनाया जाता है, लेकिन आगे बढ़ने से पहले बसंत पंचमी का पौराणिक महत्व और पौराणिक कथा का आनंद लेना अति आवश्यक है ताकि हमे इसकी महत्ता समझ आ सके और हम भी हर्षोल्लास से ये पंचमी मना सके |
सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों आ॓र मौन छाया रहता है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल छिड़का, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही उसमें कंपन होने लगा।
इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। यह प्राकट्य एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। ब्रह्मा ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब ब्रह्मा ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसन्त पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।
ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन करते हुए कहा गया है– प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु
अर्थात : ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है।
बसंत पंचमी के दिन किये जाने वाले उपाय – Basant Panchami Mantra
वाक सिद्धि प्राप्ति हेतु ,इस मंत्र का जाप करें – ओम् हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नम:
आत्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप करें – ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्
इस दिन ना केवल विद्यार्थियों वरन सभी जातको को सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ पीले वस्त्र पहनकर, गंगाजल, दूध व दही से स्नान के बाद धूप दीप जलाकर पीले फूल, पीले मिष्ठान अर्पण करके माँ की आराधना करनी चाहिए और उनसे विवेक, ज्ञान और सद्बुद्धि का आशीर्वाद लेना चाहिए। बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल चढ़ाकर देवी सरस्वती को श्वेत वस्त्र पहनाएं / अर्पण करें । इस दिन पीले फल, मालपुए और खीर का भोग लगाने से माता सरस्वती शीघ्र प्रसन्न होती है ।
बसंत पंचमी का दिन बच्चो की शिक्षा प्रारम्भ करने का सबसे उपर्युक्त दिन माना जाता है । बसंत पँचमी के दिन आप अपने सभी बड़े, परिचितों, और गुरुओं के प्रति सम्मान अवश्य ही व्यक्त करें । उनके पास जाकर अभिवादन करें अगर हो सके तो उन्हें कोई उपहार या फूल ही दें, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें । यह सच्चे मन से बताएँ की वह आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।
भारतीयज्योतिषशास्त्र के अनुसार वसंत पंचमी को अति शुभ माना गया है, इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त घोषित किया गया है। अर्थात इस दिन कोई भी काम बिना मुहूर्त देखे ही किया जा सकता है। सभी पवित्र कार्य जैसे मुंडन, यज्ञोपवीत, सगाई, विवाह , तिलक, गृहप्रवेश आदि सभी मांगलिक कार्य इस दिन अति शुभ फलदायी माने गए हैं। बसंत पंचमी के दिन गहने, कपड़े, वाहन आदि की खरीदारी आदि भी अति शुभ है । इस दिन यथा संभव ब्राह्मण को दान आदि भी अवश्य ही करना चाहिए ।
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