खाटू श्याम जी मंदिर
खाटूश्याम जी मंदिर
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है भगवान खाटू श्याम जी का मुख्य मंदिर। श्री कृष्ण भगवान के कलयुग के अवतार के रूप में यहां पर खाटू में विराजमान हैं। खाटू श्याम जी को हारे का सहारा माना जाता है। भीम के पुत्र घटोत्कच और नाग कन्या अहिलवती के पुत्र बर्बरीक अपनी वीरता एवं साहस के लिए प्रसिद्ध रहे वह एक महान योद्धा थे। बर्बरीक को अनेक नामों से पुकारा जाता है यह खाटू श्याम, श्याम सरकार, सूर्यावर्चा, सुहृदय, शीश के दानी, तीन बाणधारी, खाटू नरेश और कलयुग के अवतार जैसे नामों से जाना जाते हैं। बर्बरीक की बलिदान गाथा ने ही उन्हें देव स्थान दिया भगवान कृष्ण ने उन्हें वरदान दिया था की कालांतर में तुम श्याम नाम से प्रसिद्ध होगे।
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बर्बरीक वीर महान योद्धा थे। भगवान शिव की तपस्या करके वह तीन अभेद्य बाण प्राप्त करते हैं जिससे तीनो लोकों में विजय प्राप्त की जा सकती थी जिस कारण उन्हें तीन बाणधारी नाम भी प्राप्त हुआ था। महाभारत के युद्ध प्रारम्भ होने पर बर्बरीक ने मां से युद्ध में भाग लेने की इच्छा प्रकट की। तब माता ने इन्हें युद्ध में भाग लेने की आज्ञा दे दी व वचन लिया की युद्ध में निर्बल और हारने वाले पक्ष का साथ निभाओगे. इस पर बर्बरीक कुरुक्षेत्र की ओर चल पडे। कृष्ण जानते थे कि यदि तीनों बाणों का उपयोग किया गया तो तीनों लोक ध्वस्त हो जाएंगे। और माँ को दिए वचन के अनुसार युद्ध में कौरवो का साथ देगें। तब श्री कृष्ण ने ब्राह्मण वेश में बर्बरीक को एक चुनौती दी जिसमें उसे पीपल के वृक्ष के सभी पत्रों को भेदना था बर्बरिक ने चुनौती स्वीकार कर ली तथा अपने एक बाण से समस्त पत्तों को भेद डाला । इस पर उन्होंने ब्राह्मण रूप में ही बालक बर्बरीक से दान स्वरूप बर्बरीक का सर मांग लिया इस पर बर्बरीक ने उन्हें यह दान देने का वचन दिया किंतु ब्राह्मण के असली रूप को जानने की इच्छा व्यक्त की इस पर श्री कृष्ण ने बालक को अपने वास्तविक रूप के दर्शन दिए। श्री कृष्ण ने बर्बरीक से कहा की युद्ध भूमि की पूजा करने के लिए किसी एक वीर के शीश के दान की जरूरत है। बर्बरीक की प्रार्थना को स्वीकार किया तथा फाल्गुन महीने की द्वादश तिथि को बर्बरीक ने अपना शीश दान स्वरूप दे दिया। श्री कृष्ण ने बर्बरीक को युद्ध में प्रथम वीर की उपाधि प्रदान किया। और बालक बर्बरीक का शीश युद्धभुमि के समीप ही पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी पर रख दिया। इस प्रकार बर्बरीक सम्पूर्ण युद्ध का दृष्टा बना एवं एक महान वीर की उपाधि से अलंकृत हुए। भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को अमृत से सींचा था तथा उन्हें कलयुग में उनके नाम से श्याम रुप में अवतार लेने का आशीर्वाद प्रदान किया।
खाटू में स्थित श्याम मंदिर एक प्राचीन मंदिर है इसकी स्थापना 1720 के आस पास की मानी जाती है कहा जाता है की सन 1679 में मुगल राजा औरंगजेब ने इस मंदिर को नष्ट करने का आदेश दिया था जिस पर अनेक राजपूतों ने मंदिर की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था |
खाटू श्याम मंदिर में वीर बर्बरीक को श्याम के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है जहाँ मंदिर का निर्माण हुआ है वहीँ बर्बरीक का कटा हुआ शीश खुदाई में प्राप्त हुआ था। खाटू श्याम मंदिर हज़ारों श्रद्धालु की आस्था का केन्द्र है यहां पर वर्ष भर भक्तों का आवागमन लगा ही रहता है अनेक भक्त पदयात्रा करते हुए इस पवित्र स्थान के दर्शन करने के लिए आते हैं. तो कई श्रद्धालु दंडवत करते हुए श्याम मंदिर में पहुँचते हैं। खाटू श्यामजी मंदिर में फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष में बड़े मेले का आयोजन किया जाता है और देश के कोने-कोने से लोग इस पावन अवसर पर यहां दर्शनों के लिए पहुँचते हैं। लोगों की मान्यता है की यहां आकर श्याम जी के दर्शन प्राप्त करने से पापों से मुक्ति मिलती है। जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं तथा समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तभी तो कहा जाता है “हारे के सहारे खाटू श्याम जी हमारे”।
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Category : Temples