Labh Panchami 2022 & जाने लाभ पंचमी का शुभ मुहूर्त और महत्व
लाभ पंचमी का अवसर दिवाली के त्यौहार और इसके उत्सव का अंतिम दिन होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन (पंचमी) यह त्यौहार मनाया जाता है। लाभ पंचमी ‘लखेनी पंचमी’, ‘ज्ञान पंचमी’, ‘सौभाग्य पंचमी’ या ‘लाभ पंचम’ जैसे कई अन्य नामों से भी लोकप्रिय है। इस साल 29 अक्टूबर 2022 के दिन लाभ पंचमी मनाई जाएगी।
लाभ पंचम 2022
यह गुजरात राज्य में सबसे लोकप्रिय त्यौहार है। गुजरात के लोग अत्यधिक धन और समृद्धि के लिए पूर्ण उत्साह के साथ देवी लक्ष्मी और भगवान गणेशजी की पूजा और प्रार्थना करते हैं। लाभ पंचमी की पूर्व संध्या पर, लोग अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और दुकानों को खोलते हैं। गुजरात के क्षेत्रों में, इसे आधिकारिक तौर पर गुजराती नव वर्ष का पहला दिन माना जाता है।
हिंदू ग्रंथों के अनुसार, लाभ को परिभाषित किया गया हैः
लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः
भावार्थ: जिनके हृदयमें श्याम रंगके पद्म स्वरूपी जनार्दनका वास है, उन्हें सदैव यश (लाभ) मिलता है, उनकी सदैव जय होती है, उनकी पराजय कैसे संभव है!
लाभ पंचमी के अनुष्ठान क्या हैं?
लाभ पंचमी के दिन, लोग शारदा पूजा भी करते हैं यदि वे दीवाली के समय इसे भूल गये थे।व्यापारिक समुदाय से जुड़े सभी लोग, इस विशेष दिन अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों और दुकानों को खोलते हैं और नए बही-खातों की पूजा करते हैं।व्यवसायिक लोग इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान गणेशजी से प्रार्थनाऐं और पूजा करते हैं ताकि वे आने वाले वर्ष के लिए सफलता का आशीर्वाद पा सकें।रिश्तेदार और मित्र एक दूसरे के साथ ‘मीठे रिश्तों’ के प्रतीक के रूप में मिठाई और उपहार के साथ शुभकामनाऐं देते हैं। कुछ विशिष्ट संस्कृतियों में, लोग अपने ज्ञान और बुद्धिमता को बढ़ाने के लिए अपनी किताबों की पूजा करते हैं। लोगों को इस शुभ दिन पर जरूरतमंद और गरीब लोगों को पैसे, कपड़े, भोजन और अन्य आवश्यक चीजें दान करनी चाहिऐं।
लाभ पंचमी का महत्व
लाभ पंचमी का अवसर रोशनी, दिवाली के त्यौहार से जुड़ा हुआ है। ‘लाभ’ शब्द लाभ अर्थात् फायदे को दर्शाता है और इस प्रकार लोगों के जीवन में योग्यता और अच्छा भाग्य लाने के लिए इस दिन को पहचाना जाता है। गुजरात राज्य में, लोग मानते हैं कि लाभ पंचमी पूजा को करके, वह पेशेवर और व्यक्तिगत दोनों मोर्चों पर अच्छे भाग्य, धन और खुशी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। यह हिंदू त्योहार एक नया व्यापार उद्यम शुरू करने या स्थापित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है।
लाभ पंचमी की पूजा विधि
इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके तैयार हो जाते है इसके बाद सूर्य देवता का जलाभिषेक किया जाता है. इसके बाद शुभ टाइम में भगवान गणेश और शिवजी की मूर्तियाँ स्थापित की जाती है. गणेश जी को सुपारी पर मौली लपेटकर चावल के अष्टदल पर विराजित किया जाता है।
भगवान गणेश जी को चंदन, सिंदूर, अक्षत, फूल, दूर्वा से पूजना चाहिए तथा भगवान आशुतोष को भस्म, बिल्वपत्र, धतुरा, सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजन किया जाता है और उसके बाद गणेश को मोदक व शिव को दूध के सफेद पकवानों का भोग लगाया जाता है. इसके बाद भगवान शिव और गणेश जी की आरती करनी चाहिए. इस दिन सभी मंदिरों में जाकर भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
दीपावली का त्यौहार भारत के अन्य इलाकों में भाई दूज के साथ समाप्त हो जाता है, लेकिन गुजरात में दीपावली का त्यौहार लाभ पंचमी के साथ समाप्त होता है।
दीपावली के दुसरे दिन गुजरात के लोग घुमने चले जाते है और वापिस लाभपंचमी के दिन घर आते है और अपना व्यवसाय या दूकान खोलते है और सारा काम बाकि दिनों की तरह शुरू हो जाता है।
Tags : Mantra
Category : Mantra