Shri Suktam Path – सुख समृद्धि और सफलता प्रदान करने वाला श्री सूक्त पाठ

Dec 22,2022 | By Admin

Shri Suktam Path – सुख समृद्धि और सफलता प्रदान करने वाला श्री सूक्त पाठ

<h2 style="text-align: justify;">Laxmi Suktam Path – लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री-सूक्त पाठ<span class="ez-toc-section-end"></span></h2> <p style="text-align: justify;">Shri Suktam Path in Hindi – ऋग्वेद में <a href="https://bhaktisatsang.com/%e0%a4%b2%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a5%80%e0%a4%b8%e0%a4%be-lakshmi-chalisa-lyrics-in-hindi/">माता लक्ष्मी</a> को प्रसन्न करने के लिए श्री-सूक्त (Shri Suktam Path) के पाठ और मन्त्रों के जप तथा मन्त्रों से हवन करने पर मनचाही मनोकामना पूरी होने की बात कही हैं । अगर कोई दिवाली के दिन अमावस्या की रात में इस समय श्री सूक्त का पाठ और मंत्रों से जप करता है उसकी इच्छाएं पूरी होकर ही रहती हैं ।</p><p style="text-align: justify;">श्री-सूक्त में पन्द्रह ऋचाएं हैं, माहात्म्य सहित सोलह ऋचाएं मानी गयी हैं क्योंकि किसी भी स्तोत्र का बिना माहात्म्य के पाठ करने से फल प्राप्ति नहीं होती । नीचे दिये श्री सूक्त के मंत्रों से <a href="https://bhaktisatsang.com/rigveda-upanishad-hindi-pdf/">ऋग्वेद</a> के अनुसार दिवाली की रात में 11 बजे से लेकर 1 बजे के बीच- 108 कमल के पुष्प या 108 कमल गट्टे के दाने को गाय के घी में डूबाकर बेलपत्र, पलाश एवं आम की समिधायों से प्रज्वलित यज्ञ में आहुति देने एवं श्रद्धापूर्वक<a href="https://bhaktisatsang.com/mahalakshmi-mantra-for-all-problems/"> लक्ष्मी जी का षोडषोपचार</a> पूजन करने से व्यक्ति वर्तमान से लकेर आने वाले सात जन्मों तक निर्धन नहीं हो सकता हैं।</p> <h3 style="text-align: justify;"><span class="ez-toc-section" id="%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4_%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A0_-_Shri_Suktam_Path"></span>श्री सूक्त पाठ – Shri Suktam Path<span class="ez-toc-section-end"></span></h3> <p style="text-align: justify;">पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि ।<br> विश्वप्रिये विष्णुमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सं नि धत्स्व ।।</p> <p style="text-align: justify;">अर्थात- कमल के समान मुख वाली! कमलदल पर अपने चरणकमल रखने वाली! कमल में प्रीती रखने वाली! कमलदल के समान विशाल नेत्रों वाली! सारे संसार के लिए प्रिय! भगवान विष्णु के मन के अनुकूल आचरण करने वाली! आप अपने चरणकमल को मेरे हृदय में स्थापित करें ।</p><h4 style="text-align: justify;">श्री लक्ष्मी सूक्त पाठ – Shri Suktam Path in Hindi<span class="ez-toc-section-end"></span></h4> <p style="text-align: justify;">।। अथ श्री-सूक्त मंत्र पाठ ।।</p><p style="text-align: justify;">1- ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।<br> चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।</p> <p style="text-align: justify;">2- तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।<br> यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।।</p> <p style="text-align: justify;">3- अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।<br> श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।</p> <p style="text-align: justify;">4- कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।<br> पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।</p> <p style="text-align: justify;">5- चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।<br> तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।</p> <p style="text-align: justify;">6- आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।<br> तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।</p> <p style="text-align: justify;">7- उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।<br> प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।</p> <p style="text-align: justify;">8- क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।<br> अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।</p> <p style="text-align: justify;">9- गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।<br> ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।</p> <p style="text-align: justify;">10- मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।<br> पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।</p><p style="text-align: justify;">11- कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।<br> श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।</p> <p style="text-align: justify;">12- आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।<br> नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।</p> <p style="text-align: justify;">13- आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।<br> चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।</p> <p style="text-align: justify;">14- आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।<br> सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।</p> <p style="text-align: justify;">15- तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।<br> यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।</p> <p style="text-align: justify;">16- य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।<br> सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।</p> <p style="text-align: justify;">।। इति समाप्ति ।।</p><p style="text-align: justify;"></p><p style="text-align: justify;"></p><p style="text-align: justify;"></p><p style="text-align: justify;"></p><p></p>

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