सिद्धिविनायक मंदिर & Siddhivinayak Mandir

Dec 22,2022 | By Admin

सिद्धिविनायक मंदिर & Siddhivinayak Mandir

सिद्घिविनायक मंदिर – Siddhivinayak Mandir

अष्ट विनायक में दूसरे गणेश हैं सिद्धिविनायक। यह मंदिर पुणे से करीब 200 किमी दूरी पर स्थित है। समीप ही भीम नदी है। यह क्षेत्र सिद्धटेक गावं के अंतर्गत आता है। यह पुणे के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। मंदिर करीब 200 साल पुराना है। सिद्धटेक में सिद्धिविनायक मंदिर बहुत ही सिद्ध स्थान है। ऐसा माना जाता है यहां भगवान विष्णु ने सिद्धियां हासिल की थी। सिद्धिविनायक मंदिर एक पहाड़ की चोटी पर बना हुआ है। जिसका मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है। मंदिर की परिक्रमा के लिए पहाड़ी की यात्रा करनी होती है। यहां गणेशजी की मूर्ति 3 फीट ऊंची और ढाई फीट चौड़ी है। मूर्ति का मुख उत्तर दिशा की ओर है। भगवान गणेश की सूंड सीधे हाथ की ओर है।

मुंबई का सिद्घिविनायक मंदिर – Siddhivinayak Mandir Mumbai

यूं तो सिद्घिविनायक के भक्त दुनिया के हर कोने में हैं लेकिन महाराष्ट्र में इनके भक्त सबसे ज्यादा हैं। समृद्धि की नगरी मुंबई के प्रभा देवी इलाके का सिद्धिविनायक मंदिर उन गणेश मंदिरों में से एक है, जहां सिर्फ हिंदू ही नहीं, बल्कि हर धर्म के लोग दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। हालांकि इस मंदिर की न तो महाराष्ट्र के ‘अष्टविनायकों ’ में गिनती होती है और न ही ‘सिद्ध टेक ’ से इसका कोई संबंध है, फिर भी यहां गणपति पूजा का खास महत्व है। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के सिद्ध टेक के गणपति भी सिद्धिविनायक के नाम से जाने जाते हैं और उनकी गिनती अष्टविनायकों में की जाती है। महाराष्ट्र में गणेश दर्शन के आठ सिद्ध ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल हैं, जो अष्टविनायक के नाम से प्रसिद्ध हैं। लेकिन अष्टविनायकों से अलग होते हुए भी इसकी महत्ता किसी सिद्ध-पीठ से कम नहीं।

आमतौर पर भक्तगण बाईं तरफ मुड़ी सूड़ वाली गणेश प्रतिमा की ही प्रतिष्ठापना और पूजा-अर्चना किया करते हैं। कहने का तात्पर्य है कि दाहिनी ओर मुड़ी गणेश प्रतिमाएं सिद्ध पीठ की होती हैं और मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश जी की जो प्रतिमा है, वह दाईं ओर मुड़े सूड़ वाली है। यानी यह मंदिर भी सिद्ध पीठ है।

सिद्धिविनायक मंदिर कहाँ है – Siddhivinayak Temple Location

श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भगवान श्री गणेश को समर्पित है। यह प्रभादेवी, मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है।

सिद्घिविनायक मंदिर का इतिहास – Siddhivinayak Temple History

सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक यह मंदिर मूल रूप से 19 नवंबर 1801 को लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल द्वारा बनाया गया था। यह मुंबई के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। सिद्धिविनायक मंदिर के निर्माण के पीछे की कहानी भगवान में आस्था और विश्वास की है। लक्ष्मण विठू और देउबाई पाटिल, जिनके पास अपनी खुद की कोई संतान नहीं थी। उन्होंने भगवान गणेश को समर्पित एक मंदिर बनाने का फैसला किया ताकि वह अन्य निःसंतान दंपतियों की इच्छाओं को पूरा कर सके और उन्हें बच्चों के साथ आशीर्वाद दे सके। सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को पूरा हुआ था, जिसमें मूल संरचना एक गुंबद के आकार के शिखर से सजी एक चौकोर नुकीली थी। रामकृष्ण जम्भेकर महाराज, जिन्होंने हिंदू संत अक्कलकोट स्वामी समर्थ के एक शिष्य, ने स्वामी के निर्देश पर दो मूर्तियों को वर्तमान मूर्ति के सामने दफनाया। जैसा कि स्वामी समर्थ द्वारा भविष्यवाणी की गई थी, 21 वर्षों की अवधि के बाद, इसकी शाखाओं में स्वयंभू गणेश की छवि के साथ दफन मूर्तियों से एक मंदार का पेड़ उग आया था।सिद्धि विनायक का यह पहला मंदिर बहुत छोटा था। पिछले दो दशकों में इस मंदिर का कई बार पुनर्निर्माण हो चुका है। हाल ही में एक दशक पहले १९९१ में महाराष्ट्र सरकार ने इस मंदिर के भव्य निर्माण के लिए २० हजार वर्गफीट की जमीन प्रदान की। वर्तमान में सिद्धि विनायक मंदिर की इमारत पांच मंजिला है और यहां प्रवचन ग्रह, गणेश संग्रहालय व गणेश विापीठ के अलावा दूसरी मंजिल पर अस्पताल भी है, जहां रोगियों की मुफ्त चिकित्सा की जाती है। इसी मंजिल पर रसोईघर है, जहां से एक लिफ्ट सीधे गर्भग्रह में आती है। पुजारी गणपति के लिए निर्मित प्रसाद व लड्डू इसी रास्ते से लाते हैं।

सिद्घिविनायक मंदिर गर्भग्रह – Siddhivinayak Temple

नवनिर्मित मंदिर के ‘गभारा ’ यानी गर्भग्रह को इस तरह बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक भक्त गणपति का सभामंडप से सीधे दर्शन कर सकें। पहले मंजिल की गैलरियां भी इस तरह बनाई गई हैं कि भक्त वहां से भी सीधे दर्शन कर सकते हैं। अष्टभुजी गर्भग्रह तकरीबन १० फीट चौड़ा और १३ फीट ऊंचा है। गर्भग्रह के चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का सुंदर मंडप है, जिसमें सिद्धि विनायक विराजते हैं। गर्भग्रह में भक्तों के जाने के लिए तीन दरवाजे हैं, जिन पर अष्टविनायक, अष्टलक्ष्मी और दशावतार की आकृतियां चित्रित हैं।

वैसे भी सिद्धिविनायक मंदिर में हर मंगलवार को भारी संख्या में भक्तगण गणपति बप्पा के दर्शन कर अपनी अभिलाषा पूरी करते हैं। मंगलवार को यहां इतनी भीड़ होती है कि लाइन में चार-पांच घंटे खड़े होने के बाद दर्शन हो पाते हैं। हर साल गणपति पूजा महोत्सव यहां भाद्रपद की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विशेष समारोह पूर्वक मनाया जाता है।

सिद्धिविनायक दर्शन – Siddhivinayak Darshan

सिद्घिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। गणेश जी जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरह मुड़ी होती है, वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं। कहते हैं कि सिद्धि विनायक की महिमा अपरंपार है, वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उतनी ही जल्दी कुपित भी होते हैं।

सिद्धिविनायक दर्शन समय – Siddhivinayak Darshan Timings

Wednesday to Monday

Shree Darshan – 6:00 AM to 12:15 PM

Tuesday

Shree Darshan – 3:15 AM to 4:45 AM

सिद्धिविनायक आरती का समय – Siddhivinayak Aarti Timings

Wednesday to Monday

Kakad Aarti or morning prayer –  5:30 AM to 6:00 AM

Tuesday

Kakad Aarti or early morning prayer – 5:00 AM to 5:30 AM

Vinayaki Chaturthi

Kakad Aarti or early morning prayer – 5:30 AM to 6:00 AM

Sankashti Chaturthi

Shree Darshanor the early morning darshan – 4:30 AM to 4:45 AM

Maghi Shree Ganesh Jayanti

Shree Darshan or the early morning darshan – 4:00 AM to 4:45 AM

Bhadrapad Shree Ganesh Chaturthi

Shree Darshan or the early morning darshan – 4:00 AM to 4:45 AM

कैसे पहुंचे सिद्धिविनायक मंदिर – How to Reach Siddhivinayak Temple

दादर / प्रभादेवी पहुंचने के लिए शहर के किसी भी हिस्से से B.E.S.T बसों का लाभ उठाया जा सकता है। दादर पहुंचने के लिए आप लोकल ट्रेन (सेंट्रल, वेस्टर्न, हार्बर) भी ले सकते हैं। दादर से लेकर प्रभादेवी तक के लिए कैब सेवाएं काफी बार उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप शहर के किसी भी स्थान से कैब की सवारी कर सकते हैं।

सिद्धिविनायक मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Siddhivinayak Temple

पुरे साल आप कभी भी मंदिर के दर्शन कर सकते है। Afteroons मंदिर की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है क्योंकि यह उस समय कम भीड़ है। इसके अलावा, आप विनायकी चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी, माघी श्री गणेश जयंती और भाद्रपद श्री गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों के दौरान मंदिर जा सकते हैं, जिनमें विशेष प्रार्थना सेवाएं होती हैं।

Tags : Mantra

Category : Temples


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