सीता स्वयंवर में तोड़े गए धनुष का रहस्य & Sita Swayamvar Ramayan

Dec 22,2022 | By Admin

सीता स्वयंवर में तोड़े गए धनुष का रहस्य & Sita Swayamvar Ramayan

आप रामायण के सीता माता के स्वयंवर (Sita Swayamvar) प्रसंग से अवश्य ही अवगत होंगे, राजा जनक शिव जी के वंशज थे तथा शिव जी का धनुष उनके यहाँ रखा हुआ था। राजा जनक ने कहा था कि जो राजा उस धनुष की प्रत्यंचा को चढा देगा उसे ही सीतामाता वरण करेगी अर्थात विवाह करेगी | शिव जी का धनुष कोई साधारण धनुष नहीं था बल्कि उस काल का परमाणु मिसाइल यानि ब्रह्मास्त्र छोड़ने का एक यंत्र था। रावण कि दृष्टि उस पर लगी थी और इसी कारण वह भी स्वयंवर में आया था। उसका विश्वास था कि वह शिव का अनन्य भक्त है, वह सीता को वरण करने में सफल होगा। जनक राज को भय था कि अगर यह रावण के हाथ लग गया तो सृष्टि का विनाश हो जायेगा, अतः इसका नष्ट हो जाना ही श्रेयस्कर होगा ।

उस चमत्कारिक धनुष के सञ्चालन कि विधि कुछ लोगों को ही ज्ञात थी, स्वयं जनक राज, माता सीता, आचार्य श्री परशुराम, आचार्य श्री विश्वामित्र ही उसके सञ्चालन विधि को जानते थे। आचार्य श्री विश्वमित्र ने उसके सञ्चालन की विधि प्रभु श्री राम को बताई तथा कुछ अज्ञात तथ्य को माता सीता ने श्री राम को वाटिका गमन के समय बताया। वह धनुष बहुत ही पुरातन था और प्रत्यंचा चढाते ही टूट गया

आचार्य श्री परशुराम कुपित हुए कि श्री राम को सञ्चालन विधि नहीं आती है, पुनः आचार्य विश्वामित्र एवं लक्ष्मण के समझाने के बाद कि वह एक पुरातन यन्त्र था, संचालित करते ही टूट गया, आचार्य श्री परशुराम का क्रोध शांत हो गया। साधारण धनुष नहीं था वह शिवजी का धनुष, उस ज़माने का आधुनिक परिष्कृत नियुक्लियर वेपन था। हमारे ऋषि मुनियों को तब चिंता हुई जब उन्होंने देखा की शिवजी के धनुष पर रावण जैसे लोगों की कुद्रष्टि लग गई है। जब इसपर विचार हुआ की इसका क्या किया जाये ?

अंत में निर्णय हुआ की आगे भी गलत हाथ में जाने के कारण इसका दुरूपयोग होने से भयंकर विनाश हो सकता है अतः इसको नष्ट करना ही सर्वथा उचित होगा। हमारे ऋषियों(तत्कालीन विज्ञानिक) ने खोजा तो पाया की कुछ पॉइंट्स ऐसे हैं जिनको विभिन्न एंगिल से अलग अलग दवाव देकर इसको नष्ट किया जा सकता है। और यह भी निर्णय हुआ की इसको सर्वसमाज के सन्मुख नष्ट किया जाये। अब इसके लिए आयोजन और नष्ट करने हेतू सही व्यक्ति चुनने का निर्णय देवर्षि विश्वामित्र को दिया गया, तब सीता स्वम्वर का आयोजन हुआ और प्रभु श्रीराम जी द्वारा वह नष्ट किया गया। बोलो महापुरुष श्रीरामचन्द्र महाराज की जय ……. भारतवर्ष की गौरवशाली गाथा संसार में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिये शेयर करें।

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